सासाराम (बिहार) : केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि बिल में जो प्रावधान है वह निश्चित तौर पर एक दिन देश के गरीबों तथा किसानों के...
सासाराम (बिहार) : केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि बिल में जो प्रावधान है वह निश्चित तौर पर एक दिन देश के गरीबों तथा किसानों के लिए पूरी तरह से बर्बादी का कारण बनेंगे।
सदस्य ,अखिल भारतिय कांग्रेस राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर विचार विभाग मनोज सिंह ने कहा है कि
अगर अनाजमंडी-सब्जी मंडी व्यवस्था यानि APMC पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, तो ‘कृषि उपज खरीद प्रणाली’ भी पूरी तरह नष्ट हो जाएगी।
ऐसे में किसानों को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) कैसे मिलेगा, कहां मिलेगा और कौन देगा?
क्या एफसीआई साढ़े पंद्रह करोड़ किसानों के खेत से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीद कर सकती है?
अगर बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी कौन देगा?
एमएसपी पर फसल न खरीदने की क्या सजा होगी?
मोदी इनमें से किसी बात का जवाब नहीं देते।
केंद्र सरकार के द्वारा कृषि बिल में खुले बाजारों में एमएसपी की अनिवार्यता समाप्त कर देने से देश का किसान वर्ग ही नहीं बल्कि गरीब वर्ग भी भविष्य में भूख के कारण मारे जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि बिल में एमएसपी के प्रावधान की अनिवार्यता नहीं रहने से तथा सरकार के द्वारा असीमित भंडारण की छूट देने से देश में आने वाले समय में भीषण भूखमरी बढ़ जाएगी। ऐ आईं सी सी मेम्बर नेता कांग्रेस मनोज सिंह ने कहा कि अगर कॉरपोरेट सेक्टर पूरी तरह से किसानों की फसलों को हड़प जाएगा तो पूरे देश की पीडीएस दुकानें भी बंद हो जाएगी।
ऐसे में यूपीए सरकार के समय आरंभ की गई जनकल्याणकारी योजनाओं का भी अंत सुनिश्चित है।
यूपीए सरकार के समय आरंभ की गई गरीबों को सस्ते दर पर अनाज की व्यवस्था खत्म हो जाने से इस देश के गरीब भूखे मरने पर विवश हो जाएंगे।
मनोज सिंह ने आगे कहा है कि अगर सरकार को किसानों तथा गरीबों की फिक्र है तो कृषि बिल में एमएसपी के प्रावधान की गारंटी शामिल करें।
उन्होंने कहा कि नए कृषि बिल में एमएसपी के प्रावधान की गारंटी का ना होना तथा कॉरपोरेट सेक्टर को असीमित भंडारण की छूट देना साफ दर्शाता है कि केंद्र की मोदी सरकार देश के गरीबों तथा किसानों को जीते जी मार देना चाहते हैं।
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