(आलोक कुमार) बिहार की वीवीआईपी विधानसभा क्षेत्राें में से एक पटना साहिब में दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान होना है। प्रचार अभियान अब जोर प...
(आलोक कुमार) बिहार की वीवीआईपी विधानसभा क्षेत्राें में से एक पटना साहिब में दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान होना है। प्रचार अभियान अब जोर पकड़ने लगा है। प्रत्याशियों की पूरी कोशिश डोर टू डोर जाने की है। 25 साल से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।
मंत्री नंदकिशोर यादव यहां से विधायक हैं। छह बार से लगातार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे नंदकिशोर सातवीं बार मैदान में हैं। इसबार यहां से 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मतदाताओं के रुझान को समझें तो मुकाबला भाजपा के नंदकिशोर यादव और कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा के बीच ही है।
2015 के चुनाव में नंदकिशोर काे राजद उम्मीदवार संतोष मेहता से कड़ी टक्कर मिली थी। काउंटिंग के अंतिम दौर तक पता नहीं चल रहा था कि कौन जीतेगा। मामूली अंतर से नंदकिशाेर अपनी सीट बचाने में कामयाब हुए थे। लेकिन, इस बार सीन बदल गया है और प्रत्याशी भी। पिछली बार राजद और जदयू गठबंधन के कारण भाजपा की राह मुश्किल हो गई थी, लेकिन इसबार दाेनाें साथ हैं और महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण सिंह कुशवाहा भागलपुर के निवासी हैं।
पटना साहिब सीट का नाम पटना पूर्वी था। शुरुआती दो चुनावों के परिणाम कांग्रेस के खाते में गए। लेकिन उसके बाद से यहां जनसंघ ने अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी। फिर कांग्रेस ने वापसी की, बीच में जनता पार्टी भी आई। लेकिन 1995 से यह सीट भाजपा के पास है।
गुरु नगरी में जाम और जलजमाव बड़ा मुद्दा
जीत किसी को हो, लेकिन अभी नंदकिशोर यादव को भी शहरी क्षेत्र की समस्याओं से दो चार होना पड़ रहा है। शहरी सीट होने के कारण यहां की समस्याएं अलग हैं। बरसात के पानी से जलजमाव और बिजली की समस्या पुरानी है। कांग्रेस प्रत्याशी के लिए यहां के मतदाता और भौगोलिक स्थिति नई है। वह उससे समझने का प्रयास कर रहे हैं।
सर्वजीत सिंह कहते हैं-दशमेश गुरु गुरू गोविंद सिंह जी महाराज की जन्मस्थली पटना साहिब में पश्चिम दरवाजा से मारूफगंज के बीच अशोक राजपथ पर जाम की समस्या से स्थानीय लोगों का तकरीबन रोज सामना होता है। मो. अकरम कहते हैं-आपराधिक वारदातों से कारोबारी और आमलोग भयभीत रहते हैं।
बावजूद इसके जातिगत वोटों का असर भी चुनाव में हर बार की तरह इसबार भी दिखेगा। मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों में बेचैनी है। कोरोना काल में हो रहे चुनाव में मतदाता अपने मताधिकार के उपयोग को लेकर कितना उत्साहित होंगे, यह तो वक्त बताएगा।
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