Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

‘आरत पात’ बना कर आत्मनिर्भर बनीं सकरा की महिलाएं, 600 परिवारों का होता है गुजारा

(मनीष कुमार) ‘यह कहानी है उन महिलाओं की है, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। हर छोटी-बड़ी जरूरत और इच्छा इनके मन में ही रह जात...

(मनीष कुमार) ‘यह कहानी है उन महिलाओं की है, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। हर छोटी-बड़ी जरूरत और इच्छा इनके मन में ही रह जाती थी। फिर इन्होंने हालात से लड़ने की ठानी। सकरा प्रखंड के मझौलिया निवासी धनवंती देवी व जानकी देवी ने छठ पूजा की सामग्री ‘आरत पात’ बनाना शुरू किया। दिन-रात की मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे इनकी आर्थिक तंगी दूर होने लगी। आज इस धंधे से 600 परिवार की महिलाएं जुड़ीं है। ये महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो चुकी है।

मझाैलिया के वार्ड 10 व 12 की महिलाएं अपने घरेलू काम निपटाने के बाद अतरक पात बनाने में जुट जाती है। यह काम सालों भर चलता है। छठ पर्व से पूर्व व्यापारियों के हाथ बेच देती है। ये महिलाएं यह काम 40 वर्षों से करती आ रही है। रीना, विमला, रेणू, पूनम, काजल, महेश्वरी, कृष्णा समेत सैकड़ों महिलाएं इस काम से जुड़ी हैं। यहां के बनाए गए आरत पात्र पूरे बिहार, झारखंड, यूपी, एमपी समेत जहां भी छठ पूजा होती है, वहां सप्लाई की जाती है।

इस तरह से बनता है

रीना की माने तो आरत पात बनाने के लिए हम महिलाओं को काफी मशक्कत उठानी पड़ती है। अकवन के फूल के लिए जंगलों में जाना पड़ता है। उसके निकली हुई रुई की बारिक धुनाई होती है। एक आकार बना कर फिर उसकी रंगाई हाेती है।

एक महिला वर्ष भर में 10 हजार अतरक पात बनाती है

पूनम देवी का कहना है कि एक महिला साल भर में करीब दस हजार आरत पात बनाती है। एक दिन में 800 पात बनाया जा सकता है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सकरा के मझौलिया में अारत पात बनाती महिलाएं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36tkUl3
https://ift.tt/36w6Zup

No comments