भागदौड़ की जिंदगी, अनियमित खानपान व जीवनशैली से मनुष्य में हो रही कई गंभीर बीमारियों का इलाज अब अत्याधुनिक तरीके से नेचुरोपैथी अस्पताल में ...

भागदौड़ की जिंदगी, अनियमित खानपान व जीवनशैली से मनुष्य में हो रही कई गंभीर बीमारियों का इलाज अब अत्याधुनिक तरीके से नेचुरोपैथी अस्पताल में होगा। इसके लिए करीब 30 लाख की लागत से अस्पताल की नई बिल्डिंग बनाई जा रही है। वहीं, इलाज के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण और अन्य सामान की व्यवस्था की जा रही है।
नेचुरोपैथ से अत्याधुनिक इलाज के लिए इसे आयुष मंत्रालय से जोड़ने की भी तैयारी चल रही है। नई बिल्डिंग में महिला और पुरुष मरीजों के इलाज की अलग-अलग व्यवस्था होगी। साथ ही एक बडा सा योग रूम ही बनाया जा रहा है। जिसमें करीब 200 लोग एक साथ योग सकेंगे।
सार्वजनिक प्राकृतिक चिकित्सा गृह के व्यवस्थापक ने बताया कि प्रथम तल बन जाने के बाद नए भवन में इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद इस अस्पताल में मरीजों को रखने के लिए भी ऊपरी तल्ले पर अलग से बिल्डिंग बनाई जाएगी।
महात्मा गांधी के कांसेप्ट पर 1934 में शुरू किया गया था यह अस्पताल
वर्ष 1917 में चंपारण जाने के दौरान मुजफ्फरपुर में प्रवास के क्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नेचुरोपैथी इलाज का कांसेप्ट दिया था। उसकेे बाद खादी भंडार के सामने दान में मिली 58 डिसमिल जमीन पर खपरैलनुमा मकान में 1934 में इसकी शुरुआत की गई। वर्षों तक इसी भवन में इलाज होता रहा। औसतन 20-25 मरीज प्रतिदिन यहां इलाज के लिए आते थे।
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