फसल कटाई के बाद उसके अवशेष को हटाना किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। किसानों का कहना है कि पराली जलाएं तो जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित होन...
फसल कटाई के बाद उसके अवशेष को हटाना किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। किसानों का कहना है कि पराली जलाएं तो जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित होने के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और इसके बदले में सरकार की तरफ से जुर्माना झेलें। वहीं, पराली न जलाएं तो सही से खेत की जुताई न हो पाने से अगली फसल की बुआई में दिक्कत होती है। धान की फसल पककर तैयार है। इसे काटने के लिए मजदूर नहीं मिलने से किसानों को कंबाइन हार्वेस्टर का सहारा लेना पड़ रहा है। यह मशीन एक फीट ऊपर से फसलों की कटाई करती है। इससे काफी अवशेष खेतों में छूट जाता है। अगली फसल की बुआई के खातिर खेतों की सही से जुताई कराने के लिए किसान पहले अवशेष को जला देते थे, लेकिन इससे किसानों के मित्र कहे जाने वाले कीटों के नष्ट होने के साथ पर्यावरण को काफी क्षति पहुंचती थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36KYn2G
https://ift.tt/3qwiDNA
No comments