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कृषि-आर्थिक सुधारों के जरिए बिहार ने देश-दुनिया को दिखाई नई राह, विकास दर में पंजाब काे भी पीछे छोड़ा

देश में इस समय कृषि और किसानों से जुड़े मुद्दे चर्चा में हैं। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अंध विरोध करने वाले कुछ लोग बिहार के भी खिल...

देश में इस समय कृषि और किसानों से जुड़े मुद्दे चर्चा में हैं। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अंध विरोध करने वाले कुछ लोग बिहार के भी खिलाफ हो गए हैं। राज्य की सराहनीय उपलब्धियों को स्वीकारने की बजाय वे झूठ फैला कर बिहार को बदनाम कर रहे हैं। उस बिहार को, जिसने कृषि और आर्थिक सुधारों के जरिये पिछले एक दशक में विकास की लंबी छलांग लगाकर देश-दुनिया को नई राह दिखाई है। बिहार ने बताया है कि नेतृत्व और नीयत सही हो, तो क्रांतिकारी परिवर्तन का कोई भी सपना धरातल पर साकार हो सकता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में जब बिहार की सत्ता संभाली थी, उन्हें विरासत में एक बीमार राज्य मिला था। 2005 से पहले के एक दशक में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की औसत विकास दर 5.08% थी, जो राष्ट्रीय औसत (करीब 7%) से काफी कम थी। इसलिए बिहार को ‘देश के विकास में बाधक’ और ‘देश पर बोझ’ कहा जा रहा था। लेकिन, वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता और अन्य चुनौतियों के बावजूद बिहार ने बीते एक दशक में लगातार राष्ट्रीय औसत से तेज गति से सामाजिक-आर्थिक विकास किया है।

2011-12 से 2018-19 के बीच बिहार की विकास दर 13.3 प्रतिशत रही, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 7.5 प्रतिशत रहा। इससे पहले 2004-05 से 2011-12 के बीच बिहार की औसत विकास दर 11.7 प्रतिशत रही, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 8.3 प्रतिशत था। लगातार ‘डबल डिजिट ग्रोथ रेट’ के कारण बिहार को ‘देश का ग्रोथ इंजन’ कहा जाने लगा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल के वर्षों में पंजाब की विकास दर ज्यादातर राष्ट्रीय औसत से काफी कम रही है।

नीतीश कुमार ने 2006 में बड़े आर्थिक सुधारों के जरिये बिहार के विकास को गति देने की पहल की। कई आयोगों का गठन किया गया। आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए कई नई नीतियों की घोषणा की गई और कई कानूनों में बड़े बदलाव की पहल की गई। कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार करते हुए कृषि उत्पादन विपणन बोर्ड (एपीएमबी) को भंग करना उन बड़े फैसलों में से शामिल था। नतीजा यह हुआ कि जिस बिहार में कृषि क्षेत्र की औसत विकास दर 2001 से 2005 के बीच 1 फीसदी से भी कम रही थी, वहां यह दर वर्ष 2005-06 से 2014-15 के बीच बढ़ कर 4.7 प्रतिशत हो गई, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत सिर्फ 3.6 प्रतिशत था।



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Through agro-economic reforms, Bihar has shown a new path to the country and the world, leaving Punjab behind in the growth rate.


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