नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने नए कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों द्वारा आक्षेप लग...
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने नए कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए गठित की गई समिति के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों द्वारा आक्षेप लगाए जाने को लेकर बुधवार को काफी नाराजगी जाहिर की। साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि उसने विशेषज्ञों की समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है, जो कृषि क्षेत्र के बेहतरीन विशेषज्ञ हैं।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि उसे इस बारे में गंभीर आपत्ति है कि समिति के सदस्यों का गलत चित्रण किया जा रहा है, जो कि अब एक संस्कृति बन गई है। उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने 12 जनवरी को नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी तथा केंद्र और दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच गतिरोध खत्म करने के सिलसिले में सिफारिशें करने के लिए चार सदस्यीय एक समिति गठित की थी।
इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदर्शनकारी किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने के लिए एक न्यायिक आदेश पाने की दिल्ली पुलिस की उम्मीदों पर पानी फिर गया। दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को (इस संबंध में दायर) याचिका वापस लेने का निर्देश देते हुए कहा कि यह पुलिस का विषय है और ऐसा मुद्दा नहीं है कि जिस पर न्यायालय को आदेश जारी करना पड़े।
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