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राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ संसद के बजट सत्र की आज से शुरुआत हो चुकी है। प्रेसिडेंट कोविंद ने अपने अभिभाषण में केंद्र सरकार के काम-काज का लेखा-जोखा देश की जनता के बीच रखा है। इस दौरान उन्होंने उन तीनों कृषि कानूनों का भी जिक्र किया, जिसकों लेकर बीते दो महीने से अधिक समय से दिल्ली से सटी विभिन्ने राज्यों की सीमाओं पर किसान नेता आंदोलन कर रहे हैं और गणतंत्र दिवस के दिन आंदोलनकारी किसानों के हिंसक प्रदर्शन का देश गवाह बना। राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में इसकी निंदा की है।
तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान दुर्भाग्यपूर्ण: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति कोविंद ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुए हिंसक प्रदर्शन का जिक्र करते हिए कहा कि पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने अभिभाषण पढ़ते हुए कहा, 'मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन कृषि कानूनों से पहले जो अधिकार और सुविधाएं उपलब्ध थीं, उन्हें कम नहीं किया गया है। वास्तव में इन नए कृषि सुधारों के साथ सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं और अधिकार प्रदान किए हैं।'
राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा, 'देश भर में शुरू की गईं किसान रेल, भारत के किसानों को नया बाजार उपलब्ध कराने में नया अध्याय लिख रही हैं। अब तक 100 से ज्यादा किसान रेलें चलाई जा चुकी हैं जिनके माध्यम से 38 हजार टन से ज्यादा अनाज और फल-सब्जियां, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र तक किसानों द्वारा भेजी गई हैं।'
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