केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कृषि कानूनों पर शरद पवार के रुख को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शरद पवार एक...
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कृषि कानूनों पर शरद पवार के रुख को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शरद पवार एक अनुभवी राजनेता और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री हैं, जिन्हें कृषि से संबंधित मुद्दों और समाधानों के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त है।
शरद पवार (@PawarSpeaks ) जी वरिष्ठ राजनेता और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री हैं। वे कृषि से जुड़े मुद्दों और उनके समाधान से भलीभाँति वाकिफ हैं। पूर्व में उन्होंने भी कृषि संबंधी सुधारों को लाने की पुरजोर कोशिश की थी।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) January 31, 2021
तोमर ने कहा कि शरद पवार भी पहले इसी तरह के कृषि कानूनों के पक्षधर थे और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत भी की थी। लेकिन अब पवार जिस तरह से अपना पक्ष रख रहे हैं, मुझे हैरानी हो रही है कि वह सब कुछ जानते हुए किसानों के सामने तथ्यों को गलत तरीके से बता रहे हैं। मेरे ख्याल से अब उनके पास सही तथ्य आ गए हैं, मुझे उम्मीद है कि वह अपना रुख भी बदलेंगे और हमारे किसानों को लाभ भी बताएंगे।
संप्रग सरकार के दौरान कृषि मंत्री रहते हुए इन सुधारों के लिये आवाज उठा चुके पवार का ट्वीट ऐसे समय आया जब केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों में बातचीत को लेकर गतिरोध बना हुआ है। राकांपा नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तोमर ने कहा कि पवार दिग्गज नेता हैं और माना जाता है कि वह कृषि संबंधी मामलों और उनके समाधान के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। तोमर ने ट्वीट किया, पवार खुद पूर्व में ये कृषि सुधार लाने की कोशिश कर चुके हैं। चूंकि वह विषय पर अनुभव व विशेषज्ञता के साथ बोलते हैं, ऐसे में उनके ट्वीट में कृषि सुधारों को लेकर अज्ञानता व गलत जानकारी के मिलेजुले रूप को देखकर चिंता हुई। इस अवसर पर मुझे कुछ तथ्य रखने का मौका दें।
मंत्री ने पवार के ट्वीट का सिलसिलेवार ट्वीट कर जवाब दिया। पवार ने कहा था कि संशोधित आवश्यक वस्तु (ईसी) अधिनियम से यह आशंका है कि कॉरपोरेट सस्ती दरों पर वस्तुएं खरीद कर उनका भंडारण कर लेंगे तथा और भी ज्यादा कीमत पर उपभोक्ताओं को बेचेंगे। इस पर तोमर ने अपने ट्वीट में कहा, इस आशंका का कोई आधार नहीं है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केंद्र सरकार युद्ध, अकाल, असाधारण रूप से कीमतों में वृद्धि और गंभीर प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हस्तक्षेप कर सकती है।
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