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दत्तात्रेय होसबोले के सर कार्यवाह बनने के बाद भाजपा और संघ के रिश्तों में और ज्यादा मजबूती आएगी

  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में त्रिवार्षिक चुनाव के बाद नई टीम बनने से संघ-भाजपा के रिश्ते एवं संघ व सरकार के बीच समन्वय बेहतर होगा। नए सर का...

 




राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में त्रिवार्षिक चुनाव के बाद नई टीम बनने से संघ-भाजपा के रिश्ते एवं संघ व सरकार के बीच समन्वय बेहतर होगा। नए सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बेहतर समझ रही है। संघ में 2009 के बाद से यह बड़ा बदलाव है। 2009 में मोहन भागवत के नए सर संघचालक बनने के बाद संघ की नई टीम तो बनी ही थी, साथ ही भाजपा में भी साल भर के भीतर व्यापक बदलाव हो गए थे। भाजपा में नए नेतृत्व को सामने लाया गया था, जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी का लोकसभा में नेता विपक्ष के पद से हटना एक बड़ी राजनीतिक घटना थी। बाद में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने में भी संघ की अहम भूमिका रही थी। इसके बाद जब मोदी सरकार बनी तो उसमें भी इस बदलाव का असर दिखा।



नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा और संघ के रिश्ते आमतौर पर सहज रहे हैं। कभी किसी मुद्दे पर बड़ा मतभेद सामने नहीं आया है। हालांकि, कुछ नीतिगत मुद्दे रहे हैं, जिन पर संघ की थोड़ी बहुत अलग राय रही है, लेकिन मोटे तौर पर समन्वय बेहतर रहा है।



दत्तात्रेय होसबोले के सर कार्यवाह बनने के बाद रिश्तों में और ज्यादा मजबूती आएगी। साथ ही समन्वय भी ज्यादा बेहतर होगा। सुरेश भैय्याजी जोशी भाजपा के मौजूदा नेतृत्व से वरिष्ठ थे, लेकिन दत्तात्रेय समकालीन होने की वजह से संवाद में ज्यादा सहज होंगे।


2025 में संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होंगे

गौरतलब है कि संघ में सर संघचालक आजीवन या जब तक उसकी इच्छा है, पद पर रहता है, लेकिन संघ में कार्यकारी प्रमुख की भूमिका सर कार्यवाह की ही होती है, जो संघ की कार्य योजनाओं को अपनी टीम के साथ मूर्त रूप देता है। संघ की स्थापना के 100 साल भी 2025 में पूरे होने जा रहे हैं। इसके लिए विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत 2024 में ही हो जाएगी। इस दृष्टि से संघ की इस नई टीम पर विशिष्ट दायित्व भी रहेंगे।


नई टीम से काफी उम्मीदें

संघ में त्रिवार्षिक चुनाव की परंपरा है। दत्तात्रेय होसबाले की टीम 2024 तक काम करेगी। जिस तरह भैय्या जी जोशी ने लगातार चार कार्यकाल तक सर कार्यवाह का पद संभाला था, उसे देखते हुए दत्तात्रेय को भी लंबा समय मिल सकता है। अब जबकि संघ तीन साल बाद अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष बनाने जा रहा है, तब संघ की नई टीम से काफी उम्मीदें हैं।


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