इशिता मिश्रा, देहरादून पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को 22 अप्रैल को फोन पर एक मेसेज मिला। इसमें उनकी कोविड टेस...

इशिता मिश्रा, देहरादून पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को 22 अप्रैल को फोन पर एक मेसेज मिला। इसमें उनकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट का लिंक था। मित्तल परेशान हो गए क्योंकि उन्होंने कभी कोविड टेस्ट कराया ही नहीं था। उन्हें लगा कि कहीं उनके निजी डेटा की चोरी और दुरुपयोग हुआ। जब वह इसकी खोज में लगे तो देश के संभवत: सबसे बडे़ कोविड टेस्ट घोटाले का पर्दाफाश हुआ। मित्तल ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मेरी कोविड रिपोर्ट नेगेटिव थी लेकिन मैंने तो कभी टेस्ट कराया ही नहीं था। मैं स्थानीय अधिकारियों के पास गया लेकिन उन्होंने मुझे भगा दिया। स्वास्थ्य विभाग ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई। आखिरी उपाय के रूप में मैंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को ईमेल से अपनी शिकायत भेजी।' हरियाणा की एजेंसी थी शामिल लेकिन जब एक सप्ताह बाद भी कोई जवाब नहीं आया तो मित्तल ने उस लैब की जानकारी के लिए आरटीआई फाइल की जिसने यह टेस्ट किया था। इस बीच आईसीएमआर ने अपनी जांच में पाया कि मित्तल का सैंपल हरिद्वार में लिया गया और वहीं टेस्ट भी हुआ। आईसीएमआर ने मित्तल की शिकायत उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग को भेज दी। विभाग ने इसकी जांच की जिसमें पता चला कि मित्तल की रिपोर्ट उन एक लाख कोविड रिपोर्टों में से एक थी जिसे हरियाणा की एक एजेंसी ने फर्जी तौर पर गढ़ा था। फर्जी फोन नंबर, फर्जी किट नंबर ये कथित टेस्ट 1 से 30 अप्रैल के बीच कुंभ मेले के दौरान उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद किए गए थे। इस आदेश में कहा गया था कि हरिद्वार में हर रोज कम से कम 50 हजार टेस्ट किए जाएं। जांच में पाया गया कि नाम और पते फर्जी हैं। कई लोगों के फोन नंबर और एंटिजन टेस्ट किट नंबर भी ए थे जबकि वह एक ही बार इस्तेमाल हो सकती हैं। इसके अलावा राजस्थान के छात्रों और निवासियों को टेस्ट कलेक्ट करने वालों के तौर पर दिखाया गया था। लेकिन ये लोग कभी कुंभ में हिस्सा लेने गए ही नहीं थे। उत्तराखंड ने कुंभ मेले के दौरान आठ सैंपल एजेंसियों की मदद से हरिद्वार में कुल चार लाख टेस्ट कराए थे। अब दूसरी एजेंसियां भी जांच के घेरे में हैं। वहीं मित्तल की चिंता इस बात को लेकर है उनका डेटा कैसे चोरी हो गया। वह इसके जवाब खोजते रहेंगे। जब इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रटरी लव अग्रवाल से पूछा गया तो उनका कहना था, 'उत्तराखंड सरकार ने बिना समय गंवाए इसकी शुरुआती जांच कराई। एक सप्ताह पहले, हरिद्वार के जिलाधिकारी को कहा गया था कि वह इसमें शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई इसकी रिपोर्ट दें।' 'देश का सबसे बड़ा टेस्ट घोटाला'जानकारों का कहना है कि शायद यह देश का सबसे बड़ा कोविड टेस्ट घोटाला है। उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ मेले के दौरान हरिद्वार के बहुत कम पॉजिटिविटी रेट से ही लोगों को शक हो जाना चाहिए था। अप्रैल में जहां हरिद्वार का पॉजिटिविटी रेट औसतन 2.8 पर्सेंट था वहीं दूसरे 12 जिलों में यह औसतन 14.2 पर्सेंट था।
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