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2022 में डेप्युटी CM की डिमांड, कौन हैं डॉक्टर संजय निषाद...यूपी में क्यों अहम NISHAD पार्टी?

लखनऊ यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अभी से सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इसी बीच बीजेपी (BJP) के सहयोगी दल निषाद पार...

लखनऊ यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अभी से सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इसी बीच बीजेपी (BJP) के सहयोगी दल निषाद पार्टी (निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल) ने एक बड़ी मांग कर दी है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने आगामी विधान सभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री पद की मांग की है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) में बीजेपी अगर उन्हें उप मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ती है तो इससे उसे और फायदा मिलेगा और हमारी सरकार बनेगी। 'मछुआरा समाज के चेहरे पर बीजेपी लड़े चुनाव' संजय निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक सभी जातियों के मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं, लेकिन अब 18 फीसदी वोट की ताकत रखने वाले मछुआरा समाज के चेहरे पर बीजेपी को चुनाव लड़ना चाहिए, अगर नहीं मुख्यमंत्री बना सकते तो कम से कम डॉ. संजय निषाद को बीजेपी आगामी चुनाव में उप मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव लड़े, अगर बीजेपी ऐसा करती है तो इससे पूरे प्रदेश में निश्चित ही विजय मिलेगी और एक बार फिर सरकार बनेगी। गोरखपुर में चलाते थे इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक छह साल पहले तक संजय निषाद को निषाद समुदाय और इनके लिए काम करने वाले कुछ लोग ही जानते थे। संजय अचानक लाइमलाइट में तब आए, जब उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सीट पर बीजेपी को हराने के लिए काम किया। उन्होंने 2013 में निषाद पार्टी बनाई। उससे पहले वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। संजय ने शुरुआत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी को मान्यता दिलाने के लिए काम किया। 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी असोसिएशन बनाया। वह अपनी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी गए। 2008 में बनाए दो संगठन संजय सबसे पहले बामसेफ से जुड़े और कैम्पियरगंज विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़े और हार गए। यहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। 2008 में उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड ऐंड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन और शक्ति मुक्ति महासंग्राम नामक दो संगठन बनाए। उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई। मछुआ समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की। 2015 में जाम किया रेलवे ट्रैक, युवक की हुई थी मौत 7 जून 2015 को गोरखपुर के सहजनवा में कसरावल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर उन्होंने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। इस प्रदर्शन में पुलिस फायरिंग हुई और अखिलेश निषाद नाम के युवक की गोली लगने से मौत हो गई। इस घटना के बाद प्रदर्शन और उग्र हो गया। जमकर बवाल और तोड़फोड़ की गई। 2017 में पीस पार्टी के साथ किया गठबंधन अखिलेश सरकार संजय निषाद सहित तीन दर्जन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इस घटना के बाद से संजय निषाद पॉप्युलर हो गए। उन्होंने अपनी निषाद पार्टी बनाई और जुलाई 2016 को गोरखपुर में शक्ति प्रदर्शन किया। 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ गठबंधन किया और 72 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन पार्टी को सिर्फ एक सीट ज्ञानपुर में ही जीत मिली। बेटा प्रवीण है एसपी सांसद संजय निषाद गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सिर्फ 34,869 वोट मिले और वह हार गए। हाल संजय का बेटा प्रवीण निषाद खलीलाबाद संसदीय सीट से बीजेपी सांसद है। पूर्वांचल में निषाद पार्टी की क्या है ताकत गंगा के किनारे वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। वर्ष 2016 में गठित निषाद पार्टी का खासकर निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा असर माना जाता है। गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, जौनपुर, संत कबीरनगर, भदोही और वाराणसी समेत 16 जिलों में निषाद समुदाय के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।


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