पटना/नई दिल्ली: बिहार इस वक्त कोरोना महामारी के साथ बाढ़ की आपदा से भी जूझ रहा है। राज्य में बड़ी आबादी भारी बारिश के बाद आई बाढ़ से प्रभ...
पटना/नई दिल्ली: बिहार इस वक्त कोरोना महामारी के साथ बाढ़ की आपदा से भी जूझ रहा है। राज्य में बड़ी आबादी भारी बारिश के बाद आई बाढ़ से प्रभावित है। इसी बीच कांग्रेस नेता ने राज्य के बाढ़ पीड़ितों के लिए संवेदना जताई है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मदद के लिए आगे आने को कहा है। राहुल गांधी ने जताई बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए संवेदना बुधवार को राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि 'बिहार के बाढ़ पीड़ित परिवारों को मेरी संवेदनाएं। महामारी के समय में ये आपदा एक बड़ी त्रासदी है। मैं कांग्रेस के साथियों से अपील करता हूं कि राहत कार्य में हाथ बटाएं। हमारा हर कदम जन सहायता के लिए उठे- यही कांग्रेस विचारधारा की असली पहचान है।' बिहार में डरा रही बाढ़ बिहार में लगातार एक हफ्ते से बारिश जारी है। उत्तरी बिहार और सीमांचल क्षेत्र में गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बालन, कोसी, महानंदा, परमान नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, पटना में गंगा नदी का जलस्तर भी पिछले 24 घंटे में खतरे के निशान से 2.67 मीटर ऊपर पहुंच गया है। पिछले 24 घंटों में पटना जिले में कम से कम 45 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि बिहार के 11 जिलों में औसत 25 मिमी बारिश दर्ज की गई। बक्सर से भागलपुर तक गंगा का जलस्तर बढ़ा बक्सर से भागलपुर जिले के कहलगांव तक गंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। पटना के अलावा मुंगेर में जलस्तर खतरे के निशान से 1.16 मीटर और भागलपुर में 1.10 मीटर बढ़ गया। पटना के दीघा घाट में जलस्तर खतरे के निशान से महज 86 सेंटीमीटर नीचे दर्ज किया गया। गंगा नदी के अलावा गोपालगंज, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों में गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सड़कों पर रहने को मजबूर बाढ़ पीड़ित मंगलवार को वीरपुर और सहरसा में कोसी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से क्रमश: 43 और 9 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया। सीमांचल क्षेत्र के पूर्णिया और कटिहार जिलों में महानंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर है। अररिया जिले के जय नगर और परमन नदी में भी कमला बालन खतरे के निशान से ऊपर है। उत्तरी बिहार और सीमांचल क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात के कारण ग्रामीण सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। SDRF के एक अधिकारी के अनुसार, निचले इलाकों में रहने वाले कई ग्रामीणों ने अपना घर छोड़ दिया है और सड़क पर विभिन्न स्थानों पर शरण ली है। पश्चिम चंपारण जिले के 13 प्रखंडों की करीब 1.5 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है। गोपालगंज के छह और तीन प्रखंडों के रिहायशी इलाकों में पानी घुस गया। एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा ' राज्य सरकार बाढ़ की घोषणा तभी करती है, जब 72 घंटे तक पानी एक स्थान पर रहता है। जल संसाधन विभाग की टीमें प्रभावित इलाकों की स्थिति पर नजर रख रही हैं और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगी।’
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