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Bihar Naxals : बिहार के नक्सली भी कोरोना की दूसरी लहर से थर्राए, कई बीमार और ज्यादातर दुबके अपने ठिकानों में

पटना: बिहार में कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता से नक्सली भी थर्रा गए। हाल ये रहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने राज्य में माओवादियों क...

पटना: बिहार में कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता से नक्सली भी थर्रा गए। हाल ये रहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने राज्य में माओवादियों के मन में भी डर पैदा कर दिया और उन्हें अपने ठिकाने में रहने पर मजबूर कर दिया। कोरोना से थर्राए नक्सली राज्य पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक'पिछले साल महामारी के पहले चरण के दौरान माओवादियों पर कोरोना का ज्यादा असर नहीं पड़ा। लेकिन दूसरी लहर में उनमें से कई दूसरी बीमार पड़ गए।' गांववालों से सोशल डिस्टेंसिंग के साथ राशन मंगवा रहे माओवादीएक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि 'माओवादियों के बीच महामारी के डर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने हमदर्दों, रसद आपूर्तिकर्ताओं और ग्रामीणों को जंगलों में अपने ठिकाने के आसपास आने से रोक दिया है। हमें पता चला है कि नक्सली ग्रामीणों को एक विशेष स्थान पर दैनिक उपयोग के लिए आपूर्ति या राशन रखने का निर्देश देते हैं। ग्रामीणों के लौटने के बाद ही वे उन सामानों को उठाते हैं। महामारी ने राज्य में उनकी गतिविधियों को काफी हद तक रोक दिया है।' उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में कई नक्सली कैडर और कमांडर संक्रमित हो गए थे, लेकिन किसी की मौत की कोई खबर नहीं है। दूसरी तरफ किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए कोई भी नक्सली ठिकाने से बाहर नहीं आया था। 'जंगलों में नक्सली मंगवा रहे दवाएं' अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी से पता चला कि नक्सली जंगलों में दवाएं मंगवा रहे हैं। नक्सलियों को इन दवाओं को देने जा रहे कुछ लोगों को गया-औरंगाबाद सीमा पर छकरबंधा पहाड़ियों के पास भी रोका गया था।' 'एकाध कैडर की कोरोना से मौत लेकिन पुष्टि नहीं'एडीजी (ऑपरेशन) सुशील मानसिंह खोपड़े ने कहा कि ऐसे इनपुट थे कि एक या दो कैडर मारे गए थे, लेकिन कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है। कई नक्सलियों में कोरोना के लक्षण थे और वो सर्दी और खांसी से पीड़ित थे। यह तब हुआ जब अप्रैल और मई में कोरोना दूसरी लहर अपने चरम पर थी। सिर्फ छकरबंधा में 30 नक्सली पड़े बीमार गया एएसपी (ऑपरेशन) धर्मेंद्र कुमार झा ने कहा कि गया-औरंगाबाद सीमा पर छकरबंधा के जंगलों में दो माओवादियों के मारे जाने की खबर मिली है। हालांकि, इन मौतों की पुष्टि नहीं हुई थी। स्थानीय लोगों के जरिए छकरबंधा में माओवादियों को दवा पहुंचाने के कई प्रयास किए गए। छकरबंधा उप-क्षेत्र में कम से कम 30 नक्सली कैडर बीमार पड़ गए थे।' केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार राज्य में अरवल, औरंगाबाद, बांका, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, जहानाबाद, कैमूर, लखीसराय, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, रोहतास, वैशाली और पश्चिम चंपारण नक्सली प्रभावित जिले हैं। हालांकि नक्सली हिंसा ज्यादातर गया, औरंगाबाद, जमुई, मुंगेर और लखीसराय में अंजाम दी जाती है।'


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