लखनऊ/शाहजहांपुर कांग्रेस का दो दशक पुराना साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले की एंट्री के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। किसी का मानन...

लखनऊ/शाहजहांपुर कांग्रेस का दो दशक पुराना साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले की एंट्री के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। किसी का मानना है कि जितिन को विधान परिषद में भेजा जाएगा, तो कोई बीजेपी में उनकी एंट्री को सांकेतिक तौर पर देख रहा है, जो ब्राह्मण वोट बैंक सहेजने के काम आएगा। हालांकि यूपी के बीजेपी नेताओं में जितिन की एंट्री को लेकर अलग-अलग राय है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पास ब्राह्मण चेहरों की कमी नहीं है। उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से लेकर मंत्री बृजेश पाठक, आशुतोष टंडन और सतीश चंद्र द्विवेदी। या फिर हृदय नारायण दीक्षित, लक्ष्मीकांत वाजपेयी, महेंद्र नाथ पांडेय और रमापति राम त्रिपाठी जैसे सीनियर नेता। राज्य के हर कोने में बीजेपी के पास ब्राह्मण नेता मौजूद हैं। 58 विधायक और 8 मंत्री इसी समुदाय से आते हैं। कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि जितिन प्रसाद को एमएलसी नियुक्त कर उन्हें योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। हालांकि पिछले कुछ चुनावों में जितिन के प्रदर्शन को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल होगा कि बीजेपी को अधिक लाभ मिलेगा। 2017 के चुनाव में वह पारिवारिक गढ़ मानी जाने वाली शाहजहांपुर की तिलहर सीट से चुनाव हार गए थे। जितिन ने पिछले साल ब्राह्मण चेतना परिषद का गठन किया था। इस संगठन ने कानपुर के अपराधी विकास दुबे के सहयोगी अमर दुबे की नवविवाहिता पत्नी खुशी दुबे के लिए न्याय की मांग की थी। बिकरू कांड से महज कुछ दिनों पहले ही खुशी की शादी हुई थी और वह तब से जेल में है। जितिन की एंट्री से बीजेपी के कई नेता हैरान भी हैं। प्रदेश के एक बीजेपी नेता ने कहा कि BJP को क्या फायदा होगा यह तो भविष्य का सवाल है। लेकिन कांग्रेस को अवधारणा के स्तर पर जरूर झटका लगा है। वहीं जितिन को हराने वाले तिलहर से विधायक रोशन लाल वर्मा ने कहा, 'जितिन जी एक प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं और हम उनका स्वागत करते हैं। वह एक बड़ा नाम हैं। लोग उन्हें वोट देते हैं, जो काम करता है और हमेशा लोगों के लिए मौजूद रहता है। अगर जितिन जी भी लोगों के लिए काम करेंगे तो उन्हें जनसमर्थन हासिल होगा।' वहीं शाहजहांपुर की ही कटरा सीट से विधायक वीर विक्रम सिंह ने कहा कि जितिन प्रसाद के आने से बीजेपी का सपॉर्ट ना केवल शाहजहांपुर, बल्कि राज्य भर में बढ़ेगा। वह कद्दावर नेता हैं। सिंह के पिता वीरेंद्र प्रताप सिंह, जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद से सहयोगी थे।
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