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बिहार कृषि विश्वविद्यालय में काले अमरूद का उत्पादन, कोरोना काल में बढ़ाएगा इम्यूनिटी

भागलपुर भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन शुरू हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में विकसित की गई अमरूद की इस अनूठी किस्म न...

भागलपुर भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन शुरू हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में विकसित की गई अमरूद की इस अनूठी किस्म ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसके एंटी-एजिंग फैक्टर और रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य फलों से ज्यादा होने की वजह से लोग इसे पसंद करेंगे। अंदर लाल गूदे के साथ काले अमरूद की इस विशेष किस्म में एंटीऑक्सिडेंट, मिनरल्स और विटामिन से भरपूर होने का दावा किया जा रहा है। करीब तीन साल पहले लगाया काला अमरूद, अब फल आने हुए शुरूकाले अमरूद को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में तीन साल से ज्यादा समय तक साइंटफिक रिसर्च के साथ विकसित किया गया है। इसके आकार, सुगंध में कुछ सुधार के बाद जल्द ही इसे व्यावसायिक खेती के लिए लॉन्च किए जाने की संभावना है। देश में हालांकि अभी इस प्रकार के अमरूद का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं हो रहा है। भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. एम. फेजा अहमद ने बताया कि दो-तीन साल पहले इस अमरूद को लगाया गया था, जिसमें अब फल आने शुरू हुए हैं। इसे साइंटफिक रिसर्च के बाद विकसित किया गया है। 'एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है अमरूद की यह किस्म'डॉ एम फेजा अहमद ने कहा कि अमरूद की यह किस्म एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। 100 ग्राम अमरूद में लगभग 250 मिलीग्राम विटामिन-सी, विटामिन-ए और बी, कैल्शियम और आयरन के अलावा अन्य मल्टीविटामिन और मिनरल्स होते हैं। कुछ मात्रा में प्रोटीन और दूसरे फायदेमंद तत्व भी शामिल हैं। इस फल से लोगों के 'एंटीएजिंग' पर असर पड़ेगा। ये अमरूद अगस्त के अंत तक या फिर सितंबर तक पूरी तरह से पक जाएगा। डॉ. फेजा अहमद ने आगे कहा कि हम इस अमरूद की गुणवत्ता में और सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें कई गुना पोषण लाभ और वाणिज्यिक उत्पादन और निर्यात की बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस अमरूद के व्यवसायिक उपयोग होने के बाद इसका लाभ किसानों को भी मिल सकेगा। यही कारण है कि बीएयू अब इस शोध में जुट गया है कि कैसे इस पौधे को आम किसान इस्तेमाल में लाएं। किसान कैसे इसे इस्तेमाल में लाएं...रिसर्च हुई तेजडॉ. अहमद ने बताया कि अब इस अमरूद के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इस अमरूद के लिए उपयुक्त है। उनका मानना है कि इस अमरूद के व्यवसायिक इस्तेमाल होने से मांग बढ़ेगी। शिमला मिर्च का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पहले शिमला मिर्च केवल हरे रंग का होता था, लेकिन अब अन्य रंगों के शिमला मिर्च भी आ गए हैं और उसका व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि भविष्य में हरे अमरूद की तुलना में इसका व्यवसायिक मूल्य ज्यादा होगा, जिससे किसानों को कम मेहनत में अधिक फायदा मिल सकेगा। काले अमरूद को लेकर डॉक्टर्स का क्या है कहनाजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (JLNMCH) में फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी के एचओडी डॉ. संदीप लाल ने कहा कि नए विकसित काले अमरूद ने मेडिकल से जुड़े लोगों का भी ध्यान खींचा है और इसी के मद्देनजर आगे रिसर्च की जरूरत है। एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होने कि वजह से ये फल कई बीमारियों का मुकाबला करने में सहायक हो सकते हैं। डॉ लाल ने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को रिसर्च में बीएयू के साथ सहयोग करना चाहिए और काले अमरूद के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए। जरूरत है।


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