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मौसम साफ होने पर दिखती है हिमालय पहाड़ियों की रेंज! स्टडी में सामने आया सच

नई दिल्ली पिछली कई सदियों से मौसम साफ होने पर हिमालय रेंज की पहाड़ियों को कुछ सौ किलोमीटर की दूरी से देखे जाने का दावा किया जाता रहा है। ...

नई दिल्ली पिछली कई सदियों से मौसम साफ होने पर हिमालय रेंज की पहाड़ियों को कुछ सौ किलोमीटर की दूरी से देखे जाने का दावा किया जाता रहा है। लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण थोड़ा कम हो जाने की वजह से हिमालय रेंज के पहाड़ों को कई जगहों से देखे जाने का दावा किया गया। हालांकि ऐसे तमाम दावों को अब चुनौती मिली है। यह स्टडी है हाईस्कूल की पढ़ाई कर चुके स्टूडेंट अर्णव सिंह और उनके मेन्टॉर प्रफेसर विजय सिंह की, जो कि इंडियन असोसिएशन ऑफ फीजिक्स टीचर्स के प्रेसिडेंट भी हैं। वस्तु के आकार और दूरी के साथ ही प्रकाश की तीव्रता का कैलकुलेशन कर उन्होंने पाया कि पहाड़ों के देखे जाने के ऐसे दावे सच नहीं हैं। देखने वाले को किसी बड़े रेंज को देखकर भ्रम हो गया होगा। पंजाब के जालंधर से धौराधार रेंज और बिहार के भागलपुर से माउंट जोमोलहारी रेंज के दावे किए जा चुके हैं। लेकिन अर्णव और उनके मेन्टॉर ने पाया कि धरती के गोलाई में झुकाव (Curvature) की वजह से कोई भी माउंट जोमोलहारी रेंज की पीक से अधिकतम 301 किलोमीटर की दूरी ही देख सकता है। यह दूरी भागलपुर से जोमोलहारी पीक के बीच की 366 किलोमीटर की दूरी से कम है। रॉयल बंगाल सोसायटी के संस्थापक सर विलियम जोन्स ने 1785 में भागलपुर से जोमोलहारी रेंज को देखे जाने का दावा किया था। ऐसे में नई स्टडी के दावे से सवाल उठ रहा है कि सर विलियम ने किस रेंज को देखा था? अर्णव और प्रफेसर विजय के अनुसार सर विलियम ने जिस रेंज को देखा, वह माउंट कंचनजंघा हो सकती है। यह भागलपुर से जोमोलहारी के डायरेक्शन में ही पड़ती है और दूरी भी 297 किलोमीटर की है। 17 साल के अर्णव और IIT में फैकल्टी रह चुके 71 वर्षीय प्रफेसर विजय की स्टडी पिछले महीने अमेरिकन जॉर्नल ऑफ फीजिक्स में पब्लिश हुई है। रेफरी और अमेरिकी एडिटर ने इस डिटेल रिसर्च की तारीफ भी की।


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