पटना: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तरफ से जारी एक आदेश के पालन में, राज्य पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पश्चिम...

पटना: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तरफ से जारी एक आदेश के पालन में, राज्य पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पश्चिम चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) और पटना में संजय गांधी जैविक पार्क को आगंतुकों के लिए बंद रखने का फैसला किया है। इसकी के साथ पर्यटन गतिविधियों पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है। राज्य के वन विभाग ने भी वाल्मीकी टाइगर रिजर्व के कर्मचारियों को फिलहाल रिजर्व के अंदर ही रहने के लिए कहा है। कोरोना से एक शेरनी की मौत के बाद बड़ा फैसला एनटीसीए ने मंगलवार को सभी राज्यों को अगले आदेश तक बाघ अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों को बंद करने के लिए कहा था। इसके लिए कोविड -19 संक्रमण से चेन्नई के एक चिड़ियाघर के अंदर एक शेरनी की मौत का हवाला दिया गया है। इधर बिहार राज्य वन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि 'एनटीसीए से आदेश मिलने के बाद, बिहार में एकमात्र बाघ अभयारण्य वाल्मीकी टाइगर रिजर्व को औपचारिक रूप से बंद करने के लिए खत लिख दिया गया है। इसके अलावा स्टाफ की निगरानी, वायरस के खिलाफ उनके टीकाकरण के साथ-साथ टाइगर रिजर्व में जानवरों के स्वास्थ्य की भी नियमित रूप से निगरानी की जा रही है।' 'बाघों में लक्षण की पहचान उनकी आदतों से'दीपक कुमार सिंह के मुताबिक 'बाघों में लक्षणों की पहचान शुरू में उनके भोजन की आदतों में बदलाव के माध्यम से की जाती है। लेकिन संयोग से अब तक किसी भी जानवर में ऐसे किसी भी लक्षण की पहचान नहीं हुई है।' गंगाजल के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए कुछ दिन पहले गंगा नदी में संदिग्ध कोविड पीड़ितों के शव मिलने से हड़कंप मच गया था। सवाल ये उठ रहे हैं कि इन शवों ने गंगा को कितना प्रदूषित किया है? क्या कोरोना संक्रमण का असर पवित्र गंगा के पानी पर भी पड़ा है? जल शक्ति मंत्रालय के 'नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा' की तरफ से इसके जांच के निर्देश दे दिए हैं। इस काम का जिम्मा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सोलॉजिकल रिसर्च, लखनऊ (IITR) को दिया गया है। बक्सर, पटना, भोजपुर और सारण से सैंपल लिए गए कोरोना संक्रमितों के शवों को गंगा में बहते सबसे पहले बक्सर के घाटों पर देखा गया था। इसी के चलते आईआईटीआर एनालिस्ट की टीम ने सबसे पहले बक्सर से ही गंगा के पानी का सैंपल लिया। बक्सर के साथ ही पटना, भोजपुर और सारण से भी टीम ने सैंपल लिए हैं। गंगा के पानी में होनेवाले बदलावों की जांच बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी करता रहा है। मगर इस बार मामला वायरस से जुड़ा है, इसलिए यह काम आईआईटीआर को दिया गया है। IITR-BSPCB की ज्वाइंट टीम ने लिया सैंपलगंगा के पानी का सैंपल लेने के लिए आईआईटीआर की तीन सदस्यीय टीम बिहार आई थी। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम के साथ विभिन्न जिलों के गंगा घाटों पर गई टीम ने प्रशासन की मौजूदगी में सैंपल इकट्ठा किए। इस टीम ने एक जून को बक्सर और पांच जून को पटना, भोजपुर और सारण में गंगा के पानी का सैंपल लिया। सैंपल की जांच कर विशेषज्ञ इस बात का पता लगाएंगे कि गंगा के पानी में कोरोना वायरस है या नहीं। अगले सप्ताह फिर होगा टीम का दौराबिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एनालिस्ट डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि सैंपलिंग का यह पहला राउंड है। इसके बाद फिर से सैंपल लिए जाएंगे, जिसके लिए टीम फिर से बिहार आएगी। डॉ. नवीन कुमार के मुताबिक दूसरे राउंड में भी गंगा के पानी का सैंपल लिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जांच में जो नतीजे सामने आएं उन्हें और पुख्ता किया जा सके।
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