जयपुर राजधानी जयपुर के ग्रेटर नगर निगम में दो दिन पहले उठे सियासी बवाल के बाद राज्य सरकार ने चौंकाने वाला फैसला लिया है। जयुपर ग्रेटर नगर...
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जयपुर राजधानी जयपुर के ग्रेटर नगर निगम में दो दिन पहले उठे सियासी बवाल के बाद राज्य सरकार ने चौंकाने वाला फैसला लिया है। जयुपर ग्रेटर नगर निगम आयुक्त से हाथापाई मामले में राजस्थान सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को तत्काल सस्पेंड कर दिया है। स्वायत्त शासन विभाग ने इस संबंध में देर रात आदेश जारी कर दिए हैं। मेयर को सस्पेंड किए जाने के बाद अब इस मामले में राजनीति भी तेज हो गई है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने भी इस मामले में अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वहीं जयपुर ग्रेटर की बीजेपी मेयर सौम्या गुर्जर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार उन्हें काम नहीं करने देना चाहती थी। इसी वजह से ऐसा किया जा रहा है। बिना सबूत मुझे निलंबित किया गया है, मैं कोर्ट जाऊंगी। यह है पूरा मामला आपको बता दें कि शुक्रवार मेयर सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के बीच एक बैठक में तीखी बहस हुई थी। बताया जा रहा है कि कि डोर टु डोर कचरा संग्रहण करने वाली कंपनियों के भुगतान के मुद्दे पर हुई बैठक के दौरान जब मेयर से उनकी और आयुक्त के बीच तकरार हुई, तो वो बाहर जाने लगे। आयुक्त सिंह का आरोप है, इस दौरान बीजेपी के तीन पार्षदों ने उनसे अभद्र व्यवहार किया। वहीं उनके साथ मारपीट की। इस घटनाक्रम के बाद आयुक्त सिंह ने 3 पार्षदों के खिलाफ शिकायत थाने में दी, जिसके आधार पर FIR दर्ज हुई। विभाग ने माना , मेयर को दोषी इधर इस मामले में सरकार की ओर से भी जांच करवाई गई। इसके बाद रविवार देर रात स्वायत्त शासन विभाग की ओर से मेयर सौम्या गुर्जर , भाजपा पार्षद अजय सिंह चौहान, पारस जैन और शंकर शर्मा के निलंबन का आदेश निकाले गए। विभाग की ओर से जारी निलंबन आदेश में लिखा है कि मेयर सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में आयुक्त नगर निगम जयपुर ग्रेटर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल हुआ। सरकारी काम में बाधा डाली गई। मेयर की मौजूदगी में सरकार काम में बाधा डालने, पार्षदों द्वारा मारपीट, धक्का मुक्की करने, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के मामले की जांच स्थानीय निकाय विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक से करवाई। जांच अधिकारी ने सौम्या गुर्जर को पूरी तरह जिम्मेदार और दोषी माना है। न्यायिक जांच पूरी होने तक मेयर सस्पेंड सरकार ने सौम्या गुर्जर के खिलाफ राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (3) के तहत न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है। आदेशों में लिखा है कि सौम्या गुर्जर के मेयर पद पर रहने से न्यायिक जांच प्रभावित होने की पूरी संभावना है। आदेशों में नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (6) का हवाला देते हुए मेयर को सस्पेंड करने का आदेश दिया है। मेयर को वार्ड संख्या 87 के पार्षद पद से भी सस्पेंड किया गया है। ऐसे हुए थे मेयर- आयुक्त आमने- सामने दरअसल बीजेपी मेयर सौम्या गुर्जर और जयपुर म्यूसिपल कमिश्नर के बीच की यह तकरार नई नहीं है, लेकिन हाल ही मेयर सौम्या गुर्जर ने कमिश्नर यज्ञमित्र देव सिंह पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। सौम्या गुर्जर ने कहा था कि आयुक्त अपनी पत्नी के साथ मिलकर अपनी जेबें भर रहे है। वहीं इसके बाद बैठक में दोबारा कचरा संग्रहण कंपनियों के भुगतान को लेकर दोनों में हुई तीखी बहस के बाद कमिश्नर ने मेयर के खिलाफ अभद्र भाषा में बोलने का केस दर्ज करवाया था।
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