मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में बढ़ते उत्पादन का हवाला देते हुए सोमवार को फसलों की कटाई के बाद क्रांति (पोस्ट हार्वेस...
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में बढ़ते उत्पादन का हवाला देते हुए सोमवार को फसलों की कटाई के बाद क्रांति (पोस्ट हार्वेस्ट रिवॉल्यूशन) की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उभरी अप्रत्याशित चुनौतियों के बावजूद मेहनती किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन किया।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के स्थापना दिवस के अवसर पर एक संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि लगातार बढ़ रहे कृषि उत्पादन के मद्देनजर फसलों की कटाई के बाद क्रांति और मूल्यवर्धन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री का संदेश यहां आयोजित एक समारोह में पढ़कर सुनाया गया। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीव्र गति से हम अपने प्रयासों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। सिंचाई से लेकर बुवाई, कटाई और आय का प्रौद्योगिकी आधारित संपूर्ण समाधान पाने के लिए हम व्यापक कदम उठा रहे हैं।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने पिछले साल तीन नए कृषि कानून संसद से पारित किए थे लेकिन इसके खिलाफ किसानों के आंदोलन के चलते इसका क्रियान्वयन स्थगित किया गया है। इस साल जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने तीनों कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी और आंदोलनरत किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की कोशिश कृषि क्षेत्र में युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करना और स्टार्टअप का प्रसार करना है। उन्होंने कहा कि हम वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने पर जोर दे रहे हैं, गांवों की आकांक्षाओं के अनुरूप विकास को गति दे रहे हैं और समग्र सोच के साथ कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था जरूरी है और इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले सात सालों में कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार 12 करोड़ के करीब छोटे किसानों को सशक्त करने और उन्हें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की एक बड़ी ताकत बनाने में मदद करने को लेकर प्रतिबद्ध है।(भाषा)
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