पटना: बिहार में कोरोना ने फिर से सावन के महीने को फीका कर दिया है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इस साल राज्य में न तोकांवड़ यात्रा होग...

पटना: बिहार में कोरोना ने फिर से सावन के महीने को फीका कर दिया है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इस साल राज्य में न तोकांवड़ यात्रा होगी और न ही श्रावणी मेला लगेगा। लोगों को घरों पर ही पूजा करनी होगी और मंदिरों में सिर्फ पुजारियों को ही धार्मिक कार्यों की अनुमति होगी। बिहार में इस साल कांवड़ यात्रा नहीं बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार की ओर से जारी एक निर्देश के बाद भक्तों की मंदिरों में लंबी पैदल यात्रा, जिसे पारंपरिक रूप से 'कांवर यात्रा' के रूप में जाना जाता है, को इस बार अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे पहले, भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करने और श्रावणी मेले में भाग लेने के लिए मंदिरों में जाते थे। जैन ने कहा कि भक्तों को भागलपुर और सुल्तानपुर में गंगा से पवित्र जल लाने की अनुमति नहीं होगी। बिहार में इन मंदिरों तक होती है कांवड़ यात्राराज्य में श्रावण के महीने में जिन महत्वपूर्ण मंदिरों में 'कांवर' के साथ बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित किया जाता था, वे गरीबनाथ धाम (मुजफ्फरपुर), कुशेश्वर स्थान (दरभंगा), हरिहर नाथ मंदिर (सोनपुर) और बिहटा मंदिर थे। कोरोना की तीसरी लहर का डर बरकरारचूंकि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की अटकलें जोर पकड़ रही हैं और राज्य सरकार ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए सभी उपाय कर रही है। ऐसे में सरकार का ये मानना है कि कांवड़ यात्रा और श्रावणी मेला जैसे आयोजन से वायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है।
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