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Bihar Prison : क्या बिहार में कैदियों को बगल की बिल्डिंग्स से मिलते हैं मोबाइल और बाकी सामान? प्रशासन ने शुरू कर दी है कार्रवाई

पटना: पटना की बेऊर जेल समेत बिहार की कई ऐसी जेलें हैं जिनके आसपास मकान और बिल्डिंग बन चुकी हैं। शक है कि इन अपार्टमेंट या घरों में अपराधि...

पटना: पटना की बेऊर जेल समेत बिहार की कई ऐसी जेलें हैं जिनके आसपास मकान और बिल्डिंग बन चुकी हैं। शक है कि इन अपार्टमेंट या घरों में अपराधियों के गुर्गे किराए पर रहते हैं और बाउंड्री के ऊपर से आपत्तिजनक सामान जैसे मोबाइल, चरस,गांजा कैदियों तक फेंक कर पहुंचा दिए जाते हैं। अब प्रशासन ने ऐसे निर्माणों को चिन्हित कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इन जेलों की सुरक्षा को खतरा बेऊर सेंट्रल जेल के पास, हाजीपुर, कटिहार और सीतामढ़ी में जिला जेल और भागलपुर स्पेशल सेंट्रल जेल के पास निर्माण पाया गया है । गृह विभाग के सूत्रों ने कहा कि ऐसी अन्य जेलों को चिन्हित करने की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों ने कहा कि बेऊर जेल के आसपास 40 आवासीय और व्यावसायिक भवनों के मालिकों और कटिहार जिला जेल के आसपास ऐसी संपत्तियों के 31 मालिकों को अभियान शुरू करने से पहले कानून के अनुसार पिछले एक सप्ताह में नोटिस दिया गया है। वर्तमान में राज्य भर में आठ केंद्रीय, 33 जिले और 17 उप-कारा यानि जेल हैं। सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) चैतन्य प्रसाद ने सभी नगर निकायों को एक पत्र लिखा था कि वे मापी का काम करें। जेलों के आसपास की निजी संपत्तियों को चिह्नित करें और उन्हें ध्वस्त करें क्योंकि ये सुरक्षा के लिए खतरा हैं। सिर्फ राज्य या केंद्र की इमारतों को छूट- जेल आईजीसंपर्क करने पर, आईजी (जेल और सुधार सेवाएं) मिथिलेश मिश्रा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय जेल की सीमा के 50 मीटर के दायरे में, जिला जेल के 30 मीटर और उप-जेल की परिधि की दीवार के 20 मीटर के दायरे में कोई निजी या व्यावसायिक निर्माण नहीं होना चाहिए। केवल राज्य या केंद्र सरकार की इमारतों को छूट दी गई है। मिश्रा ने कहा कि जिलों में जेल अधिकारियों को नगर निकायों की और से माप लेने और फिर उन संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि 'हमें जेल अधिकारियों से एक-एक करके रिपोर्ट मिल रही है।' बेऊर जेल को ज्यादा खतरा! बेऊर जेल के सूत्रों ने बताया कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कारण असामाजिक तत्व मुख्य द्वार के पास जमा हो जाते हैं। सूत्र के मुताबिक 'कोई नहीं जानता कि कोई आतंकवादी, माओवादी या खूंखार अपराधी का सहयोगी है या नहीं। इसके अलावा, रिहायशी घर जेल की बाउंड्री से सटे हुए हैं और वहां कोई भी जेल के अंदर हमारी गतिविधियों को देख सकता है। नागरिक अधिकारियों ने दशकों से इस तरह के निर्माण की अनुमति दी है। हमने शायद ही कभी इस मुद्दे को उठाया या इस तरह के निर्माण के खिलाफ विरोध दर्ज कराया।'


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