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कौन थे चंदूलाल चंद्राकर, जिनके नाम पर बने मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण कर रही है भूपेश सरकार

रायपुर दुर्ग स्थित चंदूलाल चंद्राकर चिकित्सा महाविद्यालय ( News) का भूपेश सरकार अधिग्रहण करने जा रही है। अधिग्रहण विधेयक को कैबिनेट की बै...

रायपुर दुर्ग स्थित चंदूलाल चंद्राकर चिकित्सा महाविद्यालय ( News) का भूपेश सरकार अधिग्रहण करने जा रही है। अधिग्रहण विधेयक को कैबिनेट की बैठक में 20 जुलाई को मंजूरी मिल गई है। अधिग्रहण संबंधी विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा। इससे पहले इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे लेकर सवाल खड़ा किया है। सिंधिया के सवालों पर भूपेश बघेल ने जवाब दिया है। पूरा विवाद जानने से पहले ये जान लीजिए की चंदू लाल चंद्राकर कौन थे। दुर्ग में स्थित है। कॉलेज कई वजहों से विवाद में है। लोन न चुकाने पर सरकार बैंक ने इसकी कुछ संपत्तियों को सीज किया है। कॉलेज में 143 रुपये की देनदारी को लेकर विवाद है। इन विवादों की वजह से 2018 में ही मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द हो चुकी है। इसकी वजह से 2017 में दाखिला लिए छात्रों के सामने संकट है। फरवरी 2021 में चंदूलाल चंद्राकर की जयंती पर सरकार ने इसके अधिग्रहण की घोषणा की थी। एक जनवरी 1921 को जन्मे चंदूलाल चंद्राकर कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। वह दुर्ग से पांच बार सांसद रहे हैं। 1970 में पहली बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद वह पांच बार चुनाव जीते। केंद्र की सरकार में चंदूलाल चंद्राकर पर्यटन, नागरिक उड्डयन, कृषि, ग्रामीण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। वहीं, अलग छत्तीसगढ़ के लिए भी वह सर्वदलीय मंच के अध्यक्ष रहे हैं और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संगठन में भी निभाए बड़ी जिम्मेदारी चंदूलाल चंद्रकार संगठन में भी कई बड़ी भूमिकाएं निभाई हैं। वह 1982 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने थे। इसके साथ 1993-95 तक वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं। चंदूलाल चंद्रकार भिलाई में स्टील कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष भी रहे हैं। इस दौरान वह लगातार मजदूरों की लड़ाई रहते हैं। 1975 में इंटक के एमपी प्रदेश उपाध्यक्ष बने थे। उनकी पढ़ाई लिखाई जबलपुर के रॉबर्टसन कॉलेज से हुई है। पत्रकारिता में रहे सक्रिय चंदूलाल चंद्राकर की राजनीति में एंट्री में 1970 में हुई है। राजनीति में आने से पहले चंद्राकर की गिनती एमपी-छत्तीसगढ़ के बड़े पत्रकारों में होती थी। उन्होंने पत्रकारिता में रहते हुए कई देशों के दौरे भी किए हैं। देश के कई बड़े अखबारों में चंदूलाल चंद्राकर संपादक भी रहे हैं। छत्तीसगढ़ की सरकार उनकी याद में पत्रकारिता के क्षेत्र में चंदूलाल चंद्राकर फेलोशिप देती है। दो फरवरी को 1995 को उनका निधन हो गया। चंदूलाल चंद्राकर के नाम पर ही इस मेडिकल कॉलेज को स्थापित किया गया है। कहा जा रहा है कि इसमें सीएम भूपेश बघेल के दामाद भी हैं। इसी को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छत्तीसगढ़ सरकार पर निशाना साधा है। सिंधिया ने कहा कि भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी महाविद्यालय बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। प्रदेश की राशि का उपयोग अपने दामाद के लिए। सिंधिया के इस ट्वीट के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई। बघेल ने दिया जवाब सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि यह खबर कल्पनाशीलता की पराकाष्ठा से उपजा विवाद है। जिसे मैं चुनौती देता हूं। अगर जनहित का सवाल होगा तो सरकार निजी मेडिकल कॉलेज भी खरीदेगी और नगरनार का संयंत्र भी। हम सार्वजनिक क्षेत्र के पक्षधर लोग हैं और रहेंगे। हम उनकी तरह जनता की संपत्ति बेच नहीं रहे हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार पूरी जनता और छात्रों के हित में व प्रदेश में तेजी से चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के उद्देश्य से चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग के अधिग्रहण का निर्णय लिया गया है। इससे चिकित्सा महाविद्यालय के रूप में एक तैयार अधोसंरचना का अधिग्रहण किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसी चिकित्सा महाविद्यालय की अधोसंरचना को तैयार करने में ही करीब 500 करोड़ रूपए और काफी समय लग जाता है। मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ मान्यता प्राप्त 150 सीट वाले चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय दुर्ग के अधिग्रहण से केवल आधी लागत में ही एक और शासकीय मेडिकल कॉलेज का लाभ प्रदेश की जनता को तत्काल मिल सकेगा।


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