बाड़मेरसरहदी बाड़मेर जिला शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार कर ढाणी-ढाणी में शिक्षा की अलग जगा रहे है। जहां दूर दूर तक रेतीला रेगिस्तान फैला हुआ है...

राजस्थान के बाड़मेर जिले में कोरोना संकट काल के चलते बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने के चलते शिक्षकों ने नवाचार कर नई अलख जगाई है। बच्चों को शिक्षा देने के लिए शिक्षक ऊंट पर बैठकर छात्रों तक सिक्षा पहुंचा रहे हैं।

बाड़मेर
सरहदी बाड़मेर जिला शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार कर ढाणी-ढाणी में शिक्षा की अलग जगा रहे है। जहां दूर दूर तक रेतीला रेगिस्तान फैला हुआ है, वहां न तो कोई मोबाइल नेटवर्क है और न ही कोई साधन आ-जा सकता है। ऐसे में बाड़मेर के शिक्षा रेगिस्तान के जहाज पर शिक्षा की अलख जगाते नजर आ रहे है। कोरोना संक्रमण के कारण कई महीनो से विद्यालय बंद है। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई थी लेकिन रेगिस्तान के आंचल वाले बाड़मेर जिले में कई ऐसे जुनूनी शिक्षक हैं जिनके कारण पढ़ाई का सिलसिला लगातार जारी रहा है।
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जिन बच्चों को नहीं मिल रहा ऑनलाइन लेसन, उनके लिए शुरू की मुहिम

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 21 जून से 'स्माइल 3',"आओ घर से सीखे", शिक्षा वाणी व शिक्षा दर्शन कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसके जरिए बच्चे व्हाट्सएप ग्रुप में ऑनलाइन जुड़े हुए हैं , उनको ई -कंटेंट प्रतिदिन मोबाइल पर प्राप्त हो जाते हैं तथा जो बच्चे ऑनलाइन नहीं जुड़े हुए हैं या जहां रेगिस्तान के धोरो में दूर-दूर ढाणियों में बसे हुए लोग जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं आता है उन बच्चों के लिए शिक्षकों की टीम ने एक अनूठा अभियान चलाया है।
अभिभावक कर रहे हैं शिक्षकों की मदद

धोरीमना उपखण्ड के पीईईओ क्षेत्र भीमथल के प्रधानाचार्य रूपसिंह जाखड़ व शिक्षकों ने यह ठान लिया है कि उन बच्चों को शिक्षक घर- घर जाकर पढ़ाने का पूरा प्रयास करगे। उनके घर दूर-दूर धोरों में बसे हुए होने के कारण तथा वहां कोई साधन का आना-जाना नही होता है। दोपहरी धूप के कारण स्थानीय अभिभावकों ने अपने रेगिस्तानी जहाज "ऊंट" को शिक्षकों के सहयोग के लिए दे दिया है।
रखा जा रहा है कोरोना प्रोटोकॉल का भी खयाल

प्रधानाचार्य रूपसिंह जाखड़ के मुताबिक कुछ चुनिंदा व जुनूनी शिक्षक बच्चों की पढ़ाई को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने देना चाहते है। शिक्षक कोराना गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क सेनेटाइजर सहित एक थैले में जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए कॉपी किताबें,पेंसिल,रबर,पेन अन्य स्टेशनरी निःशुल्क में वितरित की जा रही है।
सोशल मीडिया पर भी हो रही है तारीफ

आपको बता दें कि राजस्थान के सूदूर गांवों में शिक्षा की अलग जगाने वाले इन गांवों में शिक्षा की इस तरह की पहल को सोशल मीडिया पर भी काफी सराहना मिल रही है। लोग शिक्षकों के इस हौंसले को सलाम कर रहे हैं।
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