पुणे हिंसा में गिरफ्तार ऐक्टिविस्ट फादर के निधन के बाद अब उनके परिवार ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। परिवार ने स्वामी की मौत को एक नै...
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पुणे हिंसा में गिरफ्तार ऐक्टिविस्ट फादर के निधन के बाद अब उनके परिवार ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। परिवार ने स्वामी की मौत को एक नैचुरल डेथ नहीं, बल्कि हत्या बताया है। परिवार का कहना है कि स्वामी लंबे वक्त से बीमार थे, लेकिन उनका ठीक ढंग से इलाज नहीं कराया गया। स्वामी की 84 साल की उम्र में सोमवार रात मौत हो गई थी। भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तारी के बाद वह तलोजा जेल में बंद थे। उनकी मौत के बाद उनके परिवार ने इसे एक प्राकृतिक मृत्यु नहीं, बल्कि एक इंस्टीट्यूशनल मर्डर बताया है। परिवार का कहना है कि गंभीर स्वास्थ्य के कारण उनकी तमाम याचिकाएं अदालत में लंबित थीं और जमानत के मुद्दे पर सुनवाई चल रही थी। इलाज में लापरवाही का आरोप इसके बावजूद उनका ठीक ढंग से इलाज नहीं कराया गया। परिवार का कहना है कि सरकार ने स्वामी के इलाज में लापरवाही की और वह इस मसले पर मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते। स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी एनआईए ने की थी और उनपर माओवादियों से रिश्ते रखने का आरोप था। स्वामी के खिलाफ UAPA की कई धाराओं में मुकदमे शुरू किए गए थे। अक्टूबर 2020 में हुई गिरफ्तारी पुणे के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के एक कार्यक्रम के बाद हिंसा भड़की थी। इस घटना में 1 शख्स की मौत हुई थी। इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में बीते साल अक्टूबर महीने में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ माओवादियों से संबंध होने का आरोप लगाया गया था, लेकिन स्वामी ने आरोपों से इनकार किया था।
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