दिलीप डूडीजालोर। यूं तो राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षाओं में कई प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवाया है, लेकिन इस बार कुछ प्रतिभाएं ऐसी भी है...

दिलीप डूडीजालोर।यूं तो राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षाओं में कई प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवाया है, लेकिन इस बार कुछ प्रतिभाएं ऐसी भी हैं, जो विकट परिस्थितियों से जूझते हुए विपरीत हालातों के बावजूद सफल हुई हैं। उनमें से ही एक है जालोर जिले के जसवंतपुरा के सिणधरा गांव की मौर कंवर, जिन्होंने न केवल स्कूल छोड़ने के बाद दस साल के अंतराल के बाद प्राइवेट पढ़कर डिग्री की बल्कि प्रथम प्रयास में ही आरएएस में भी सफलता पाई है। इस बार जारी हुए परिणाम में की 519 वीं रैंक ( 93वीं रैंक महिला वर्ग ) आई है। आइए जानते हैं मौर कंवर के संघर्ष की कहानी... गांव में स्कूल नहीं थी तो छोड़ दी पढ़ाईजालोर जिले के जसवंतपुरा ब्लॉक की थूर ग्राम पंचायत का सिणधरा नामक राजस्व गांव है। इस गांव में वर्ष 2000 में पांचवी तक की सरकारी स्कूल थी। गांव के उम्मेदसिंह परमार की बेटी मौरकंवर इस स्कूल में पांचवीं तक पढ़ने के बाद आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन व्यवस्था के अभाव के कारण उन्हें दूसरे गांव जाकर आठवीं तक की पढ़ाई की और उसके बाद स्कूल छोड़ दी। लेकिन करीब दस साल बाद पढ़ने का जुनून जागा और 22 वर्ष की उम्र में फिर से प्राइवेट पढ़ाई शुरू की। मौरकंवर ने इस तरह से दसवीं, बारहवीं और स्नातक डिग्री भी प्राइवेट ही की। 2018 में स्नातक की डिग्री पूरी होते ही इन्होंने आरएएस की परीक्षा दे दी। प्रथम प्रयास में ही मौर कंवर का 519 वीं रैंक पर चयन हो गया। गांव में अभी भी आठवीं तक की स्कूलसरकार को लाखों रुपए का राजस्व देने वाले सिणधरा गांव में आज भी केवल आठवीं तक की ही सरकारी स्कूल की व्यवस्था है। इस गांव में बजरी खनन होता है और बजरी की लीज से हर वर्ष लाखों का राजस्व सरकार को मिल रहा है, लेकिन इस गांव में न तो सरकारी स्कूल का स्तर बढ़ा है और न ही सड़क की हालत सही है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कुछ करने की ठान ली मौर कंवर ने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मन में आया कि कुछ करना चाहिए। सामाजिक रूप से भी दबाव रहता है, लेकिन माता पिता का पढ़ाई में पूरा सहयोग रहा। इस कारण स्कूल छोड़ने के दस साल के अंतराल के बाद करीब 22 वर्ष की उम्र में दोबारा पढ़ाई शुरू की। उन्होंने बताया कि उनकी अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध विषय हॉबी के रूप में विषय है। इस बार का चयन उनका अंतिम लक्ष्य नहीं है, इससे आगे भी जाना चाहती है, लेकिन उम्र की बाधा के कारण आईएएस परीक्षा का अब मौका नहीं मिल पाएगा। जिस कारण अगली बार आरएएस परीक्षा में दोबारा शामिल होकर सिंगल डिजिट रैंक प्राप्त करने का लक्ष्य रहेगा।
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