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प्रॉपर्टी, कारोबार, बीमा कंपनी में खपाए रुपये...100 करोड़ की EPF ठगी का खुल गया पूरा 'खेल'

गाजियाबाद गाजियाबाद में ईपीएफ ठगी के बड़े रैकेट का खुलासा होने के बाद पुलिस तफ्तीश में जुटी है। ईपीएफ के नाम पर देशभर में रिटायर्ड कर्मचा...

गाजियाबाद गाजियाबाद में ईपीएफ ठगी के बड़े रैकेट का खुलासा होने के बाद पुलिस तफ्तीश में जुटी है। ईपीएफ के नाम पर देशभर में रिटायर्ड कर्मचारियों से 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश होने के बाद कई राज्यों की पुलिस ऐक्टिव हो गई है। जांच में यह पता चला है कि रैकेट का जाल देशभर में फैला था और ठगी के रुपये खपाने के लिए गैंग ने एक इंश्योरेंस कंपनी भी खोल रखी थी। गाजियाबाद पुलिस की साइबर सेल ने ठगी करने वाले 20 से ज्यादा गैंग पर शिकंजा कसा है। जांच में सामने आया है कि हर गैंग ने करोड़ों की ठगी की थी। एक गैंग तो ऐसा भी पकड़ा गया, जिसने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की थी। इतने रुपयों की ठगी का पता चला, लेकिन रुपये कहां गए शुरुआती जांच में इसका पता नहीं चला। गहराई से जांच हुई तो पता चला कि ठगों ने ट्रस्ट, प्रॉपर्टी, बीमा और दूसरे कई कारोबार में ठगी के रुपये के निवेश किया है। साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि ठगों के निवेश के 4 तरीके सामने आए हैं। इंश्योरेंस की फ्रंट कंपनी पॉलिसी, जॉब और लोन के नाम पर ठगी करने वाले एक गैंग ने रुपयों को खपाने के लिए इंश्योरेंस कंपनी खोली थी। ठगी से आने वाले रुपये को पॉलिसी के माध्यम से मार्केट में लेकर आते थे। इसके बाद ठगी के साथ रुपये को एक नंबर में बदलकर काम भी करते थे। नोएडा में ऑफिस खोलने के बाद गैंग ने ठगी से पहले कंपनी की पॉलिसी तक करवा दी थी। ट्रस्ट खोलकर करोड़ों रुपये को किया वाइट साइबर सेल की जांच में पता चला है कि नोएडा के फ्लैट से ईपीएफ फंड पर ऑफर का झांसा देकर 100 करोड़ रुपये की ठगी की थी। जांच में सामने आया कि गैंग ने पैथॉलजी ट्रस्ट बनाया हुआ था। इसी के माध्यम से वह करोड़ों रुपये की ट्रांजैक्शन को वाइट करते थे। इसमें कुछ लोगों के अकाउंट में रुपये डाले जाते थे। बाद में डोनेशन के नाम पर वह रुपये वापस ट्रस्ट के पास आ जाते थे। इसके लिए कम अमाउंट को ट्रांसफर करवाते थे, जिससे रुपये भेजने वाला अकाउंट भी किसी भी प्रकार से रेडार पर न आए। सिर्फ नाम के जिम साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि एक गैंग ने ठगी की कमाई से कई स्थानों में पर 5 जिम बनाए थे। वहां कोई नहीं जाता था, लेकिन जिम में हर महीने में 1 हजार लोगों की एंट्री की जाती थी। पूछताछ में पता चला कि गैंग ठगी से मिलने वाले रुपये का जिम में लाकर यूज करता था। इसे वहां आने वालों की फीस बताकर ठगी के रुपये को सफेद किया जाता था। सभी के पास बड़ी प्रॉपर्टी ठगों ने अपने गांव और आसपास के इलाकों में प्रॉपर्टी में निवेश किए थे। इस दौरान प्रॉपर्टी परिवार के ऐसे सदस्यों के नाम पर ली गई थी, जिससे अगर वह कभी पकड़े भी जाएं तो पुलिस प्रॉपर्टी के बारे में जानकारी नहीं कर सके। मुंबई क्राइम ब्रांच से 1.14 करोड़ की ठगी पता चली ईपीएफ ठगी की जांच कर रही साइबर सेल ने सबसे पहले मुंबई वेस्ट की क्राइम ब्रांच से संपर्क किया। टीम आरोपियों को रिमांड पर लेने के लिए इंदिरापुरम थाने पहुंची। सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि मुंबई से क्राइम ब्रांच 1 करोड़ 14 लाख और 32 लाख की ठगी के मामले में पहुंची। वह अन्य केस के बारे में जानकारी कर रही है। करोड़ों की ठगी की शिकायत के बाद मुंबई की टीम नोएडा में गैंग को पकड़ने के लिए आई थी, लेकिन गाजियाबाद साइबर सेल ने आरोपियों को पहले गिरफ्तार कर लिया। इसकी जानकारी के बाद मुंबई पुलिस थाने पहुंची। साइबर सेल ने गैंग लीडर घनश्याम के साथ राहुल और धर्मेंद्र को गिरफ्तार किया था। तेलंगाना पुलिस ने तैयार करवाया वॉरंट जानकारी के अनुसार, मुंबई पुलिस के अलावा तेलंगाना पुलिस ने भी साइबर सेल से संपर्क किया है। वहां की पुलिस 15 लाख ठगी में दर्ज हुए मामले में उनकी तलाश कर रही थी। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद तेलंगाना पुलिस ने वॉरंट बी तैयार करवाया है, जिसके बाद पूछताछ के लिए पुलिस की टीम गाजियाबाद आएगी। आरोपियों ने गुजरात में कई लोगों के साथ ठगी की है। गाजियाबाद पुलिस गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश में है।


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