अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर में अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला नागपंचमी के दिन 21 किलो चांदी से तैयार झूले पर विराजमान हुए। यह झूला श्रीर...

अयोध्याराम जन्मभूमि परिसर में अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला नागपंचमी के दिन 21 किलो चांदी से तैयार झूले पर विराजमान हुए। यह झूला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तैयार करवाया है। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक 498 साल मंदिर के विवाद के बाद पहली बार भगवान रामलला चांदी के झूले पर सवार हुए हैं। अब सावन झूला मेला के दौरान सावन की पूर्णिमा तक उनका दर्शन झूले पर सवार स्थिति में ही होगा। कजरी गीत सुनाकर रामलला को रिझाया गया राम जन्मभूमि मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि मंदिर-मस्जिद विवाद के दौरान रामलला टाट में थे। कोर्ट के आदेश पर लकड़ी के झूले पर उन्हें बिठाकर किसी तरह झूलनोत्सव की खानापूर्ति होती थी। अब जब राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इसका निर्माण हो रहा है तो हर कार्यक्रम में भव्यता लाई जा रही है। इसी कड़ी में रामलला को चांदी के झूले में विराजमान करवाया गया है। उनको कजरी गीत सुनाकर रिझाया गया। कोविड की वजह से झूलनोत्सव स्थगित अयोध्या के विख्यात सावन झूला मेले में कोविड प्रोटोकॉल को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। संतों ने मणिपर्वत पर होने वाले झूलनोत्सव को स्थगित कर दिया। वहां श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं जुटने दी जा रही है। प्रशासन ने भीड़ रोकने के लिए जगह जगह चेकिंग पॉइंट बना रखे हैं। हर साल सावन मेले में 10 लाख तक की भीड़ जुटती थी। पिछले साल कोविड संक्रमण के चलते मेला स्थगित रखा गया तो इस साल कोविड प्रोटोकॉल के तहत केवल मंदिरों में सीमित संख्या में ही झूलनोत्सव चल रहा है। एक पखवाड़े तक चलने वाले इस मेले में इस साल रौनक नहीं दिख रही है।
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