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रक्त की बलि नहीं देने पर आपदा! उत्तराखंड के अनोखे मेले में फेंके जाते पत्थर, 7 मिनट में 75 जख्मी

पिथौरागढ़ उत्तराखंड के चंपावत जिले में देवीधुरा मंदिर है। यहां पर हर साल बग्वाल उत्सव का आयोजन होता है। यह आयोजन ऐसा है जिसमें पथराव होता...

पिथौरागढ़ उत्तराखंड के चंपावत जिले में देवीधुरा मंदिर है। यहां पर हर साल बग्वाल उत्सव का आयोजन होता है। यह आयोजन ऐसा है जिसमें पथराव होता है। रविवार को देवीधुरा मंदिर में श्रद्धालुओं के एक दूसरे पर फेंके पर पत्थरों में 7 मिनट के अंदर 75 से ज्यााद लोग घायल हुए। घायलों का इलाज मेडिकल कैंप में लाया गया। रक्षा बंधन के अवसर पर यह त्योहार मनाया जाता है। लोग कुलदेवी बरही देवी को प्रसन्न करने के लिए लोग खून बहाते हैं। चार स्थानीय कुलों- वालिक, चमयाल, लमगरिया और गहरवाल हर साल मंदिर के मैदान में एकत्र होकर अनुष्ठान करते हैं। 'बलि नहीं दी तो आएगी आपदा' 2013 में, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि त्योहार को पत्थरों के बजाय फलों और फूलों के साथ मनाया जाए। स्थानीय लोगों ने हाई कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की। लोगों का मानना है कि देवता को रक्त बलि नहीं दी तो यहां आपदा आ जाएगी। मंदिर समिति के एक सदस्य ने कहा, 'हम बग्वाल की शुरुआत फलों से करते हैं और भक्तों को पत्थरों का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया है, लेकिन वे इस मामले में अपनी दृढ़ आस्था के कारण निर्देश नहीं मानते हैं। यह है मान्यता लोककथाओं के अनुसार, जब राक्षसों ने देवीधुरा पर हमला किया, तो चारों कुलों ने देवी से उन्हें बचाने के लिए प्रार्थना की। वह मान गई, लेकिन बदले में हर साल मानव बलि मांगी। बाद में, देवी ने दया दिखाई और कुलों से कहा कि वे एक दूसरे पर पत्थर फेंक सकते हैं ताकि मानव बलि के बराबर खून बहाया जा सके। नतीजतन, हर साल उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में लोग घायल हो जाते हैं। 2019 में घायल हुए थे 120 से ज्यादा 2019 में, 120 से अधिक लोग घायल हुए थे, जबकि 2018 में यह संख्या 60 थी। पिछले साल, सख्त कोविड से संबंधित प्रतिबंधों का मतलब था कि त्योहार काफी हद तक प्रतीकात्मक था। लोहाघाट के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अनिल गरव्याल ने कहा कि इस साल भी उत्सव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया था। 300 में 77 हुए घायल सभी प्रतिभागियों को कोविड निगेटिव रिपोर्ट के साथ प्रवेश दिया गया। कोविड जांच की सुविधा के लिए 20 और 21 अगस्त को मंदिर के पास शिविर लगाए गए थे। देवीधुरा मंदिर समिति के अध्यक्ष खिम सिंह लम्हरिया ने कहा कि उत्सव सिर्फ सात मिनट के लिए आयोजित किया गया था। लेकिन इतने कम समय में भी कुल 300 में से 77 श्रद्धालु घायल हो गए।


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