रवि प्रकाश सिंह रैकवार,नोएडा जामताड़ा साइबर ठगी का वह अभेद किला बनता जा रहा है, जहां से नटवरलालों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए किसी मिशन से कम...

रवि प्रकाश सिंह रैकवार,नोएडाजामताड़ा साइबर ठगी का वह अभेद किला बनता जा रहा है, जहां से नटवरलालों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए किसी मिशन से कम नहीं है। जामताड़ा से पूरे देश में साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। अब नोएडा साइबर टीम और पुलिस इस नेटवर्क को तोड़ने की तैयारी में है। साइबर क्राइम प्रभारी विनोद पांडेय ने बताया कि आरोपी नूर से जामताड़ा से संबंधित कई अहम जानकारी सामने मिली है। ठगी के तरीके और ठिकानों के बारे में भी कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। दो दर्जन से अधिक लोग टीम के रेडार पर हैं। जल्द पकड़े जाएंगे अड्डे नूर के सहारे ठगी के धंधे को बेनूर किया जाएगा। पूछताछ में पता चला है कि जामताड़ा में कई लोग ऐसे हैं जो नोएडा सहित वेस्टर्न यूपी के हैं। ये लोग आसानी से प्रदेश के लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। नोएडा में भी कई ऐसे अड्डे उभर रहे हैं जहां से ठगी की जा रही है। इन अड्डों को जल्द ही पकड़ा जाएगा। अली का गिरोह ठगों का जामताड़ा का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए नूर एक मारक हथियार है। अभी सारी जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है, लेकिन इतना जरूर है कि नूर ने कई अहम जानकारी टीम के सदस्यों के साथ साझा की है। अली के गिरोह के ठगों ने शहर के लोगों को भी अपना निशाना बनाया है। ठगी के पैसों से होती है मौज मस्ती जांच में सामने आया है कि ठगी की रकम अकाउंट में आने से पहले ही ठग विदेश घूमने, महंगी गाड़ी खरीदने सहित अन्य प्लान बना लेते थे। ठगी के पैसे से पंजाब और हरियाणा में लोगों के बिजली के बिल, मूवी के टिकट, फ्लाइट, ट्रेन और बस के टिकट और मोबाइल के बिल आदि का भुगतान कर देते थे और उस व्यक्ति द्वारा नकद रुपये लेकर अपने खाते में जमा कर लेते थे। यही नहीं हर महीने इनका ठगी का लक्ष्य भी निर्धारित होता है। अरबों का साम्राज्य खड़ा करने की थी तमन्ना ठगों का इरादा दो चार लाख नहीं, अरबों रुपये तक की ठगी करने का था। ठगी की रकम से आरोपी नूर अली ने सबसे पहले पंजाब में एक शानदार कोठी बनवाई और फिर ठगी के कारोबार को बढ़ाना शुरू किया। ठग का इरादा कई अन्य शहरों में जमीन खरीदकर आलीशान बंगला बनवाने का था। पंजाब के गोविंदगढ़ में आलीशान कोठी खरीदी है उसकी कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। कम पढ़ने के बावजूद बन गया 'नटवरलाल' नूर का पढ़ने में मन नहीं लगता था। परिजनों के समझाने के बावजूद नूर ने पढ़ाई से किनारा कर लिया और बेहद कम उम्र में ही ठगी के धंधे में उतर गया। उसने अपने साथ गिरोह बनाकर लोगों से ठगी शुरू की। समय बीतने के साथ ही वह अपने दोस्तों और करीबियों को भी इसमें जोड़ता चला गया।
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