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बैन की चर्चा होते ही निकली हुर्रियत की हेकड़ी, गिलानी ने घर से हटाया साइन बोर्ड

श्रीनगर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़ों पर बैन की सुगबुगाहट देखी जा रही है। इस बीच हुर्रियत नेता सैयद अली श...

श्रीनगर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़ों पर बैन की सुगबुगाहट देखी जा रही है। इस बीच हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार ने प्रशासन की संभावित कार्रवाई से बचने के लिए कवायद शुरू कर दी है। श्रीनगर के हैदरपुरा स्थित हुर्रियत नेताओं के आलीशान तीन मंजिला भवन से अचानत तहरीक-ए-हुर्रियत का साइनबोर्ड हटा लिया गया है। मीर वाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाला हुर्रियत का धड़ा मेडिकल और इंजिनियरिंग की सीटें बेचने के मामले में रेडार पर है। माना जा रहा है कि इस मामले में ऐक्शन से बचाव के लिए यह कदम उठाया गया है। आरोप है कि कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान में मेडिकल और इंजिनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए एक रैकेट चलाया जा रहा था। इन स्टूडेंट्स से पैसे लेकर सीटें बेची जा रही थीं। इसके अलावा हुर्रियत पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का भी आरोप है। श्रीनगर में अपने घर में नजरबंद मीर वाइज ने सोमवार को कहा कि उनका संगठन कश्मीरी छात्रों को मेडिकल-इंजिनियरिंग की पढ़ाई के लिए पारदर्शी तरीके से पाकिस्तान के अलावा सऊदी अरब, मलेशिया और तुर्की भेजता रहा है। मीर वाइज ने कहा, 'यह प्रोपेगैंडा पूरी तरह से बेबुनियाद है। जिन छात्रों के एडमिशन की हमने सिफारिश की है, उनसे और उनके परिवार से बात करके इसकी पुष्टि की जा सकती है। उनमें से बहुत से गरीब तबके से आते हैं।' 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद हुर्रियत के दोनों धड़ों ने राजबाग स्थित दफ्तर को बंद कर दिया था। फरवरी 2020 में मीर वाइज की अगुआई वाली अवामी ऐक्शन कमिटी ने अपने दफ्तर को खोल दिया था। मीर वाइज धड़े की श्रीनगर में स्थित एक आवासीय संपत्ति को 2000 में कथित रूप से हवाला के जरिए हासिल किया गया था। ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के तहत कुल 26 अलगाववादी समूह आते हैं। अगस्त 2019 से पहले राजबाग में इनका दफ्तर था। लेकिन उसके बाद से तहरीक-ए-हुर्रियत का आधिकारिक पता गिलानी का घर है। सूत्रों का कहना है कि तहरीक-ए-हुर्रियत और गिलानी के बनाए मिली ट्रस्ट का साइन बोर्ड रविवार को उनके डॉक्टर बेटे नईम के कहने पर हटा दिया गया था। केंद्र की ओर से अलगाववादी समूहों पर यूएपीए के सेक्शन-3(1) के तहत संभावित बैन की खबर फैलने के तत्काल बाद यह किया गया। 1993 में 26 अलगाववादी समूहों ने मिलकर हुर्रियत की स्थापना की थी। हुर्रियत के सहयोगियों में जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ (जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) भी शामिल हैं। इन दोनों पर केंद्र सरकार ने 2019 में यूएपीए के तहत बैन लगाया था।


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