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अपने आप में पहला ऐसा मंदिर... सोमनाथ में भगवान शंकर के ठीक सामने माता पार्वती का मंदिर

अहमदाबाद पीएम मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोमनाथ मंदिर परिसर में कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें सोमनाथ समुद्र दर्शन प...

अहमदाबाद पीएम मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोमनाथ मंदिर परिसर में कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें सोमनाथ समुद्र दर्शन पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनृत अहिल्याबाई होलकर मंदिर का परिसर शामिल हैं। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने सोमनाथ मंदिर के ठीक सामने एक पार्वती मंदिर की भी आधारशिला रखी। आस्था के महत्व को समझाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता है। अपने आप में पहला ऐसा मंदिर जानकारी के मुताबिक, पार्वती मंदिर के निर्माण में कुल 30 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सोमनाथ मंदिर न्यास के सचिव प्रवीण लाहेरी के मुताबिक, माता पार्वती का यह मंदिर सफेद पत्थरों से बनाया जाएगा और इसकी ऊंचाई करीब 71 फीट होगी। उन्होंने बताया कि यह मंदिर सोमनाथ मंदिर के ठीक सामने ही होगा जो अपने आप में पहला ऐसा मंदिर होगा। इस मंदिर का निर्माण 66 खंभों के साथ किया जाएगा और इसका क्षेत्रफल 18891 फीट होगा। क्यों बनाया जा रहा पार्वती मंदिर? मंदिर के एक ट्रस्टी ने बताया कि भगवान भोलेनाथ के मंदिर के पास ही शिव पंचायत की परंपरा रही है। इसी परंपरा को ध्यान में रखकर पार्वती माता का मंदिर बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिव पंचायत में भगवान गणेश, गंगा जी और हनुमान जी की मूर्तियां भी शामिल होती हैं। 1783 में बनाया गया था यह मंदिर आपको बता दें कि अहिल्याबाई होल्कर मंदिर पुराने सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर मुख्य मंदिर के विपरीत दिशा में स्थित है और इसके जीर्णोद्धार में 3.5 करोड़ रुपये की लागत आई है। गौरतलब है कि सोमनाथ पर जब हमले हो रहे थे तब अहिल्याबाई होल्कर के बनाए मंदिर में ही सोमनाथ की पूजा हुआ करती थी। उन्होंने 1783 में यह मंदिर बवाया था। आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता है। सोमनाथ मंदिर पर हुए हमले का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहाँ की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई, लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। जो तोड़ने वाली शक्तियाँ हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वो किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती।'


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