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शादीशुदा महिला के ऊपर फेंका लव चिट, कोर्ट ने मनचले को सिखा दिया ताउम्र का सबक

नागपुर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक विवाहित महिला से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सख्त आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि किसी शादी...

नागपुर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक विवाहित महिला से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए सख्त आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि किसी शादीशुदा महिला पर लव चिट फेंकना उसकी गरिमा का अपमान है। इस मामले में अदालत ने महाराष्ट्र के अकोला जिले के आरोपी पर 90 हजार का जुर्माना भी ठोका है। इसमें से 85 हजार रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे। इस मामले में अकोला सेशंस कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला का सबसे कीमती गहना उसकी इज्जत होती है। उसकी इज्जत से खिलवाड़ हुआ या नहीं, इसके लिए कोई सीधा फॉर्म्युला नहीं है। जस्टिस रोहित देव ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'शिकायतकर्ता 45 साल की एक शादीशुदा महिला है। उसके ऊपर ऐसी चिट फेंकना जिसमें प्यार का इजहार किया गया हो और जिसमें कविताओं का अंश हो, उसकी इज्जत से खिलवाड़ के लिए पर्याप्त है।' जज ने कहा कि इस बात पर भरोसा ना करने की कोई वजह नहीं है कि याचिकाकर्ता श्रीकृष्ण तावरी ने महिला पर आपत्तिजनक सामग्री वाली चिट नहीं फेंकी। जज ने कहा, 'निचली अदालत के फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं दिखती, जिसने पाया है कि आरोपी ने महिला की इज्जत से खिलवाड़ किया। महिला का इस बात की गवाही देना कि वह फ्लर्ट करने के साथ ही होठों से भद्दे इशारे करता था और कभी-कभी उसे छोटे-छोटे कंकड़ से मारता था, भरोसा करने के लिए काफी है।' घटना 3 अक्टूबर 2011 की है। आरोपी एक किराने की दुकान चलाता है। महिला जब अपने घर में बर्तन धुल रही थी, उसी दौरान आरोपी शख्स ने एक चिट देने की कोशिश की। जब महिला ने चिट को लेने से इनकार कर दिया तो उसने इसे महिला के ऊपर फेंक दिया। साथ ही उसने आई लव यू भी कहा। अगले दिन उसने अश्लील इशारे भी किए। साथ ही चिट में लिखी गई बात को किसी को भी ना बताने की धमकी दी। इस मामले में महिला ने शिकायत दर्ज कराई। अकोला सेशंस कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी की धारा 354, 509 और 506 के तहत दोषी करार दिया। 21 जून 2018 को कोर्ट ने आरोपी को 2 साल जेल की सजा सुनाई। उस पर 40 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। इस रकम में से 35 हजार पीड़ित महिला को बतौर जुर्माना देने को कहा गया। तावरी ने अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। आरोपी ने कोर्ट में कहा कि महिला ने उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई है। आरोपी ने कहा कि उसकी किराने की दुकान से महिला ने उधारी में सामान खरीदे थे और बकाया पैसा वापस नहीं कर रही थी। कोर्ट ने धारा 506 के तहत सुनाई गई सजा को कम करते हुए कहा कि अभी आरोपी को सुधार का एक मौका दिया जा सकता है। इसके साथ ही उसकी बाकी सजा को भी कम कर दिया गया। जज ने कहा, 'याचिकाकर्ता इस मामले में पहले ही 45 दिन जेल में काट चुका है। घटना के वक्त के कानून के मुताबिक धारा 354 के तहत कोई न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है। 2013 में हुए संशोधन के बाद ही न्यूनतम सजा दी जा सकती थी।' हालांकि जज ने जुर्माने की रकम को बढ़ाकर 90 हजार करते हुए इसे ट्रायल कोर्ट में 15 दिन के अंदर जमा करने का आदेश दिया है।


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