वडोदरा वडोदरा शहर में विश्वामित्री नदी के घाट संस्कृत श्लोकों के मंत्रोच्चार से गूंज उठे। शहर के दर्जनों लोग यहां श्रद्धांजलि देने के लिए...

वडोदरा वडोदरा शहर में विश्वामित्री नदी के घाट संस्कृत श्लोकों के मंत्रोच्चार से गूंज उठे। शहर के दर्जनों लोग यहां श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह सब किसी दिवंगत इंसान के लिए नहीं था। पहली बार शहर के वन्यजीव प्रेमियों ने 10 फुट लंबे एक मगरमच्छ के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। एक हफ्ते पहले यह मगरमच्छ विश्वामित्री नदी के किनारे मरा हुआ पाया गया था। दो महीने के अंदर नदी में मरने वाला यह चौथा मगरमच्छ था। 'वह हमारे परिवार के सदस्य की तरह था' संजय सोनी के साथ श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने वाले वाइल्डलाइफ ऐक्टिविस्ट विशाल ठाकुर का कहना है, 'वह हमारे परिवार के सदस्य की तरह था और हम सबके बीच बहुत साल से साथ था। जब भी हम नदी पर जाते थे तो कई बार उसको देखते थे। उसकी अचानक मौत से हम सब दुखी हैं, इसलिए हमने उसे श्रद्धांजलि देने का फैसला किया। यह देखकर अच्छा लगा कि बहुत से नागरिकों ने इस सभा में हिस्सा लिया।' मगरमच्छ की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि आयोजन स्थल पर मगरमच्छ की तस्वीर लगाई गई थी। यहां आने वाले बहुत से लोगों ने तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। 150 किलो के मगरमच्छ का शव सयाजीगंज में 10 अगस्त को नदी में तैरता मिला था। वन विभाग ने चार मगरमच्छों की मौत के मामले में जांच शुरू की है। 'गिर में शेर की मौत होती है तो गांव शोक जताता है' विशाल ठाकुर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'अगर गिर के जंगलों में किसी एशियाई शेर की मौत होती है तो गांववाले शोक जताते हैं क्योंकि वह इनसे दिल से जुड़े होते हैं। वडोदरा के लोग दशकों से मगरमच्छ के साथ जीते आ रहे हैं लेकिन इन रेप्टाइल्स के लिए वास्तव में कितने लोग चिंता करते हैं? हकीकत में बहुत से लोग नदी को कचरे से गंदा करते हैं। हमने नदियों और रेप्टाइल्स के संरक्षण से लोगों को जोड़ने के लिए यह मीट आयोजित की।' 'अब पता चला इको सिस्टम के लिए कितने अहम मगरमच्छ' श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने वाले पार्थ ब्रह्मभट्ट कहते हैं, 'विश्वामित्री नदी में सैकड़ों मगरमच्छों के रहने के बारे में मुझे पता था। लेकिन मुझे महसूस होता था कि यह हमारे बीच रहने वाला एक रेप्टाइल ही है। मीट के दौरान मैंने जाना कि मगरमच्छ हमारे इको सिस्टम के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं और हमारी तरह उनका भी एक परिवार है। अब मैं इन रेप्टाइल्स को संरक्षित करने के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में हिस्सा लूंगा।' 'मंगल पांडे के नाम पर रखा जाए नाम' इस दौरान कुछ वन्यजीव प्रेमियों ने प्रस्ताव रखा कि मृत मगरमच्छ का नाम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे के नाम पर रखा जाए। सयाजीगंज में नदी के किनारे रहने वाले संजय सोनी कहते हैं, 'जिस तरह मंगल पांडे की शहादत ने देश में क्रांति की चिंगारी भड़का दी थी, उसी तरह इस मगरमच्छ की मौत ने लोगों को झकझोर कर रख दिया और लोगों ने कार्रवाई के लिए मुहिम चलाई।' शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के साथ जीते रहे हैं मगरमच्छ उन्होंने यह भी कहा कि हर साल दर्जनों मगरमच्छ नदी से बाहर निकलते हैं लेकिन कभी किसी पर हमला नहीं किया। वह लोगों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। आने वाले महीनों के दौरान विशाल ठाकुर और संजय सोनी स्कूल-कॉलेजों में मगरमच्छों के संबंध में जागरूकता अभियान भी चलाएंगे।
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