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हिंदी, हिंदू धर्म के कट्टर विरोधी रहे CN अन्नादुरै कौन थे, जिनसे केसी त्यागी कर रहे हैं CM नीतीश कुमार की तुलना

पटना जनता दल युनाइटेड (JDU) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी के प्रधान महासचिव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar)...

पटना जनता दल युनाइटेड (JDU) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पार्टी के प्रधान महासचिव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) की तुलना तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरै (CN Annadurai) से की। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार को अन्नादुरै के समकक्ष रखा जा सकता है। हालांकि केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इस बात का विरोध किया और कहा कि केसी त्यागी (KC Tyagi) हमारे नेता की बाउंड्री को छोटा कर रहे हैं। केसी त्यागी की ओर से दिए गए इस बयान के बाद से खासकर युवा वर्ग यह जानने को उत्सुक दिख रहे हैं कि आखिर सीएन अन्नादुराई कौन थे जिससे नीतीश कुमार की तुलना की जा रही है। बिहार के लोग गूगल पर अचानक से सी एन अन्नादुरै सर्च कर रहे हैं। पाठकों की इसी उत्सुकता को देखते हुए हम आपको महान समाजसुधारक और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरै के बारे में अहम बातें बता रहे हैं। अन्नादुरै से जुड़ी खास बातें-: - 15 सितंबर 1909 में कांजीवरम के एक सामान्य परिवार में जन्में सीएन अन्नादुरै ने उस जमाने में मद्रास यूनिर्वसिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। छात्र जीवन से ही अन्नादुरै समाज के पिछड़े लोगों को लेकर चिंतित थे। परिवार की रोजी-रोटी चलाने के लिए अन्नादुरै ने पहले कॉलेज लेक्चरर के रूप में अपने कॅरिअर की शुरुआत की, लेकिन इसमें बहुत दिनों तक उनका मन नहीं लगा। - 1924 में अन्नादुरै ने 'जस्टिस' मूवमेंट की शुरुआत की। इसकी शुरुआत उन्होंने 'जस्टिस' नामक तमिल पत्र में सहायक संपादक के तौर पर सामाजिक मुद्दों पर आर्टिकल लिखने से शुरू किया। बाद में उन्होंने 'विदुघलाई' नामक पत्र के संपादक के पद पर कार्य किया। बाद में इन्होंने 1942 में तमिल साप्ताहिक 'द्रविड़नाड़' और 1957 में अंग्रेजी साप्ताहिक 'होमलैंड' और एक साल बाद 'होमरूल' नामक पत्रिका निकाली थी। ये हिंदी के प्रबल विरोधी और तमिल भाषा के कट्टर समर्थक थे। - अन्नादुरै ने 40 के दशक में ही एक अलग राष्ट्र ‘द्रविड़ नाडु’ की मांग शुरू कर दी थी। तमिल में नाडु का मतलब राष्ट्र होता है। जब उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाई तब भी उन्होंने ‘द्रविड़ नाडु’ की मांग को मुख्य मुद्दा बनाया। हालांकि 1962 में चीन-भारत युद्ध के चलते उनकी यह मांग निरर्थक हो गई। परिस्थिति को देखते हुए अन्नादुरै ने चीन के मुद्दे पर तत्कालीन कोंग्रेस सरकार का खुलकर सपोर्ट किया। - बाद के दिनों में 1962 में जब अन्नादुरै राज्यसभा के सदस्य बने तो उन्होंने ‘द्रविड़ नाडु’ के मुद्दे पर अपनी सक्रियता कम कर दी। वह अपने भाषणों में पूरे भारत की बात करने लगे थे। - यूं तो राज्यसभा में अटल बिहारी वाजपेयी और सीएन अन्नादुरै में तीखी बहस होती थी, लेकिन सदन के बाहर दोनों अच्छे दोस्त रहे। आरएसएस बैकग्राउंड से आने वाले वाजपेयी जहां संसद में हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान की बात करते वहीं अन्नादुरै हिंदी और हिंदू धर्म की मूर्ति पूजा और वर्ण व्यवस्था के घोर विरोधी रहे। अच्छी बात यह थी दोनों नेता सदन में तर्क के साथ अपनी-अपनी बात को रखते। दोनों की अच्छी दोस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब चीन के मुद्दे पर मीटिंग बुलाई तो अन्नादुरै और वाजपेयी साथ साथ ही पहुंचते। इतना ही नहीं चीन के मुद्दे पर अन्नादुरै और वाजपेयी सरकार का समर्थन करते दिखे थे। - हिंदी विरोधी आंदोलन के चलते अन्नादुरै तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में हुए दो काम को यादगार माना जाता है। 1968 में वह द्विभाषी फार्मूला लेकर जरूर आए जिसके बाद मद्रास राज्य में लोगों के लिए तमिल के अलावा अंग्रेजी पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया। 1968 के अंत में उन्होंने मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने का प्रस्ताव विधानसभा से पास करवाया और उसे केन्द्र के पास भेज दिया। केन्द्र से मंजूरी मिलने के बाद 14 जनवरी 1969 को तमिलनाडु नाम प्रचलन में आ गया। - मद्रास का नाम तमिलनाडु किए जाने के 20वें दिन यानी 3 फरवरी 1969 को कैंसर के चलते अन्नादुरै का निधन हो गया। अन्नादुरै की शवयात्रा में जुटी लोगों की भीड़ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज हुआ।


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