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NBT पड़ताल : कोटा में बाढ़ के हालातों पर जानी एक्सपटर्स की राय, सामने आए 3 बड़े कारण , 1986 से भी भयावह 2021 के हालात

अर्जुन अरविंद कोटा। राजस्थान के हाडौती संभाग में साल 1986, 2006 और 2019 के बाद अब 2021 में भारी बारिश और बाढ के हालातों को देखे जा रहे ह...

अर्जुन अरविंद कोटा। राजस्थान के हाडौती संभाग में साल 1986, 2006 और 2019 के बाद अब 2021 में भारी बारिश और बाढ के हालातों को देखे जा रहे हैं। लेकिन साल 2021 की बारिश और बाढ को भयानक मंजर और अलग तरह की त्रासदी के रूप में जाना जाएगा। एनबीटी की पड़ताल में यह सामने आया है। भारी बारिश और भयानक बाढ आने के कई बड़े कारण सामने आए हैं। राज्य मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने एनबीटी से बातचीत की। इसमें उन्होंने सरल भाषा में पूरे विशलेषण के साथ अपनी बात रखी। पेश है रिपोर्ट लो प्रेशर पांच दिनों तक एक ही जगह अटका रहा उन्होंने बताया कि हाडौती में बारिश हमेशा मध्य प्रदेश की ओर से आने वाले लो प्रेशर के कारण होती है। लेकिन साल 2021 में हाडौती में एंटर हुआ लो प्रेशर पहले से डिफरेंट था। लो-प्रेशर 5 दिन तक कोटा सम्भाग में एक जगह अटका व ठहरा रहा। उसने 5 दिनों तक मूवमेंट नहीं किया। जबकि अमूमन लो-प्रेशर एक या दो दिन ही एक स्थान पर बना रहता हैं। फिर अपने स्थान पर कमजोर होकर स्वत खत्म हो जाता हैं। लो- प्रेशर बने रहने के कारण भयानक से भयानक बारिश हुई। जिला प्रशासन को कर दिया गया था अलर्ट उन्होंने बताया कि राज्य मौसम विभाग को 29 व 31 जुलाई को स्पष्ट मिल थे। हाडौती में हालात बेकाबू होंगे। स्थितियां बिगड़ेगी। जिला प्रशासन को भी चेताया गया । 31 जुलाई को 24 घंटे में शाहाबाद में 304 एमएम बारिश रिकाॅर्ड तोड दर्ज हुई। इस ऐतिहासिक बारिश से चार माह का कोटा, 8 दिनों में पूरा कर दिया। संभाग में भयानक त्रासदी जो आई। बरसों -बरस पहले कभी ऐसा नहीं देखा।फसल चौपट हुई , मकान जमींदोज हो गए, गृहस्थी का सामान नष्ट हुए और जनहानि व मवेशियों की मौतें हुई। देखते ही देखते संभाग का पूरा सिस्टम ध्वस्त हो गया। 1986 में नहीं था अतिक्रमण, अब यह भी त्रासदी की बड़ी वजह एनबीटी ने अतिरिक्त सचिव व मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग से रिटायर्ड हुए विनोद शाह से बातचीत की। शाह ने कहा साल 1986 में हाड़ौती में भयानक बारिश व बाढ़ आई थी। वह मंजर आंखों से देखा था। चंबल नदी के सभी बांधों के सभी गेट खोलने पड़े थे। सहायक नदी कालीसिंध-परवन भयानक उफान पर थी। लेकिन उस वक्त पार्वती नदी में आज जैसा उफान नहीं था। बाढ़ का मुख्य कारण बताते कहा कि नदियों के किनारे अतिक्रमण हो रहे हैं। 1986 तक अतिक्रमण नहीं था। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। खास कर स्थानीय नगर निकायों का और जिला प्रशासन का । लोग बसते जा रहे हैं। फ्लड जोन एरिया में हो रहे हैं निर्माणहाडोती में कैथून, बारां, सांगोद को फ्लड जोन घोषित किया हुआ है। लेकिन WR की रिपोर्ट को कोई मानने को राजी नहीं। निर्माण की NOC प्रशासन दिए जा रहा है। कोई रोकता नहीं फ्लड जोन में बसने को। उन्होंने कहा कि आज के वक्त गांव की ग्राम पंचायत हो, कस्बे की नगरपालिका हो या नगर परिषद हो या शहर का नगर निगम हो। हर जगह सीसी कंक्रीट सड़कें निर्मित की जा रही है। ऐसे में बारिश का पानी जमीन में नहीं पहुंच पा रहा है। फिर पानी सीधा ऊंचाई से निचले इलाकों में फ्लड ला रहा है। यही बाढ़ का सीधा मैथड है। पहले अतिक्रमण नहीं था। रास्ते कच्चे हुआ करते थे। पानी जमीन में चल जाता था। ऐसा अब नहीं होने फ्लड की घटनाएं भयानक रूप धारण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 2021 की त्रासदी पहले से ज्यादा घातक बनने में प्रमुख कारण यह भी है। पहले जब भी बाढ़ आई, 2 से 3 दिन की बारिश वजह रही, इसबार 8 दिनों तक बरसात ने थमने का नाम नहीं लियाराष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेश मंत्री और वरिष्ठ किसान नेता अमरलाल गहलोत एनबीटी से कहा कि हाड़ौती में साल 1986 व 2019 में तबाही वाली बाढ़ आई। थी। फर्क यह है। वह 2 से 3 दिन रही। लेकिन ऐसी बारिश और बाढ़ जो रुकने का नाम नहीं लें , वह समय 74 बरस की उम्र में इस त्रासदी में देख लिया। नुकसान तब भी खूब हुआ था, लेकिन मंजर इतना भयावह नहीं था। इधर, वरिष्ठ किसान नेता फतेहचंद बागला ने कहा साल 2019 में भी बाढ़ आई थी। आपदा प्रबंधन ने योजनाबद्ध काम किया होता तो जनता को आज नुकसान से बचाया जा सकता था। ड्रेनेज फेल हुआ और नियोजित तरीके से बसावट नहीं होने के कारण फ्लड हाडौती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा कि अत्यंत भारी बारिश के भयानक बाढ़ के रूप में तब्दील होने के पीछे मुख्य कारण क्षेत्र का ड्रेनेज सिस्टम फेल होना रहा है। जगह- जगह पर अतिक्रमण के कारण संभाग भर में ड्रेनेज सिस्टम चौक हो रहा है। साथ ही नदियों के बहाव क्षेत्र में बांधों की डाउनस्ट्रीम के डी-मार्केशन इलाकों में आबादी की बसावट नियोजित तरीके से नहीं हो रही है। परिणाम स्वरूप जलभराव हुआ, लोग बाढ़ में फंसे। इन बिंदुओं पर सरकारों को चिंता करने की सख्त जरूरत है। दशरथ कुमार ने आगे कहा ईश्वर का शुक्र रहा कि इलाके में बहने वाली चंबल नदी के चारों बांधों से साल 2019 की तरह भारी पानी की निकासी नहीं थास अन्यथा त्रासदी और भयानक आशंका थी। कालीसिंध, पार्वती व परवन नदियां ही उफान पर रही। संभाग में कहां कितनी बारिश हुई, जिलेवार अब तककोटा-879.89, बारां-1025.38, बूंदी-713.67, झालावाड-862.65, कोटा संभाग-861.39 एमएम पिछले साल अब तक इतनी हुई थी बारिशकोटा-285.67, बारां-348.50, बूंदी-227.67, झालावाड-375.46, कोटा संभाग-309.32 एमएम


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