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NEP 2020 In MP : राष्ट्रीय शिक्षा नीति MP में भी लागू, क्या होंगे विषय, कैसे होंगे बच्चे पास, सब समझिए

भोपाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू ( ) करने वाला एमपी पहला राज्य बन गया है। सत्र 2021-22 में यह नीति लागू होगी। इस साल ग्रेजुएशन में जो दाख...

भोपाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू ( ) करने वाला एमपी पहला राज्य बन गया है। सत्र 2021-22 में यह नीति लागू होगी। इस साल ग्रेजुएशन में जो दाखिले होंगे, उन छात्रों के लिए नए सत्र में उसी हिसाब से सिलेबस होगा। अगले चरण में सेकंड और थर्ड ईयर के छात्रों पर इसे लागू किया जाएगा। प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद सर्टिफिकेट एक साल, डिप्लोमा दो साल और डिग्री तीन साल में मिल जाएगी। नई शिक्षा नीति लागू करने से पहले एमपी में गठित विशेषज्ञों की टीम ने कई राज्यों का दौरा किया था। वहां के पाठ्यक्रमों का अध्ययन किया था। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने बीते दिनों कहा था कि प्रदेश के महाविद्यालयों में 177 डिप्लोमा और 282 सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएंगे। यह जॉब ओरिएंटेड होंगे। नई शिक्षा नीति में छात्रों को योग और ध्यान का पाठ्यक्रम भी जोड़ा गया है, विद्यार्थियों के लिए यह वैकल्पिक विषय होगा। वह अपनी मर्जी से एक वैकल्पिक विषय चुन सकते हैं। 12वीं अब नहीं चुननी पड़ेगी स्ट्रीम अभी तक जो स्कूली शिक्षा का पैटर्न है, उसके अनुसार 10वीं तक बच्चे सारे सब्जेक्ट पढ़ते हैं। दसवीं बोर्ड के रिजल्ट आने के बाद उन्हें स्ट्रीम चुननी होती है। कोई साइंस, कोई ऑर्ट्स तो कोई कॉमर्स लेता है। ग्रेजुएशन में भी पढ़ाई के लिए एक सब्जेक्ट चुननी पड़ती है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद प्रदेश में 5+3+3+4 के पैटर्न को फॉलो किया जाएगा। इसके हिसाब से स्कूल के आखिर चार साल को एक सामान माना गया है। यानी 11वीं और 12वीं के बच्चे भी अब सारे विषय पढ़ेंगे। उन्हें स्ट्रीम चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साइंस स्ट्रीम से पढ़ रहा बच्चा, इतिहास भी पढ़ सकता है। इसके साथ वैकल्पिक विषयों को भी एक विषय के रूप में ही शामिल किया जाएगा। इसे कोई एक्स्ट्रा विषय नहीं माना जाएगा। एक साल की पढ़ाई में भी मिल जाएगा सर्टिफिकेट दरअसल, नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्रों के पास ऑप्शन ज्यादा है। वह अपनी मन की पढ़ाई कर सकते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि हम किसी विषय में दाखिला ले लिया। आगे चलकर हमें पढ़ाई करने का मन नहीं है तो आप दूसरे कोर्स की तरफ जा सकते हैं। मान लीजिए कि आपने फीजिक्स को ग्रेजुएशन के लिए चुना है। अगले साल आपका मन किया कि नहीं हम बीटेक करेंगे। फीजिक्स में एक साल तक आपने जो पढ़ाई की है, उसके लिए आपको सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इसके बाद आप बीटेक में दाखिला ले सकते हैं। वहीं, अगर फिर से आपको फीजिक्स में ऑनर्स करने का मन कर रहा है तो अगली बार आपका एडमिशन सेकंड ईयर में हो जाएगा। इससे आपका साल खराब नहीं होगा। दूसरा फायदा यह है कि आपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई दो साल बाद छोड़ दी तो आपको डिप्लोमा की डिग्री मिल जाएगी। एक साल में हो जाएगा पोस्ट ग्रेजुएशन नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्र अगर ग्रेजुएशन विद रिसर्च कोर्स करते हैं तो उनका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में हो जाएगा। इस कोर्ट में तीन साल तक आपकी पढ़ाई होगी और एक साल का रिसर्च होगा। कुल कोर्स चार साल का होगा। इसे करने के बाद आपका पोस्ट ग्रेजुएशन एक साल में होगा। वहीं, कोई छात्र तीन साल में ही पढ़ाई को छोड़ देना चाहता है, उसे रिसर्च नहीं करना है। इसके बावजूद उसे ग्रेजुएशन की डिग्री मिल जाएगी। बदल सकते हैं कॉलेज इसके साथ ही नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्रों के पास कॉलेज बदलने की सुविधा भी होगा। अगर आपने एक शहर के किसी कॉलेज में दाखिला लिया हो, आपका मन कर रहा है कि अब हम दूसरे कॉलेज में पढ़ाई करेंगे तो आप करवा सकते हैं। इसके साथ ही आपका क्रेडिट भी ट्रांसफर हो जाएगा। नई शिक्षा नीति में छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा भी होगी। वहीं, परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किए गए हैं। ग्रेजुएशन के पेपर अभी तीन घंटे के होते थे। वार्षिक परीक्षा अब दो घंटे की होगी। साथ ही सवालों के पैटर्न में भी बदलाव होंगे। इसके साथ ही चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम से मूल्यांकन होगा। पहले-दूसरे साल होगा सब्जेक्ट बदलने का विकल्प ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान छात्रों के पास विषय बदलने का भी विकल्प होगा। साइंस का स्टूडेंट्स चाहे तो हिस्ट्री की पढ़ाई भी कर सकता है। मगर छात्रों के लिए यह विकल्प फर्स्ट और सेकंड इयर में ही होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रमुख बातें
  • इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार पाठ्यक्रमों में समावेश होगा। जैसे मानवीय मूल्य, योग, महिला सशक्तिकरण और नैतिकता।
  • स्नातक के स्तर पर रिसर्च को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम
  • कला, वाणिज्य और विज्ञान के विषयों में मिश्रित चयन की स्वतंत्रता
  • व्यावसायिक और योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रमों में अध्ययन के अवसर
  • इंटर्नशिप, अप्रेन्टिसशिप, फील्ड प्रोजेक्ट, कम्युनिटी एंगेजमेंट एंड सर्विसेस का फर्स्ट ईयर में समावेश
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना/ओपेन यूनिवर्सिटी के माध्यम से व्यावसायिक एवं योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रम में ऑनलाइन अध्ययन की सुविधा।
  • एक कॉलेज में कई विषयों की पढ़ाई की सुविधा
  • एनसीसी, एनएसएम और शारीरिक शिक्षा को पाठ्यक्रम के रूप में अध्ययन की सुविधा
  • सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि करने का लक्ष्य
  • शिक्षा की पहुंच, समानता और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
  • विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहन देना।
  • डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा
  • एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय और एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण पर क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा होगी।
क्या है क्रेडिट प्रणाली नई शिक्षा नीति में अकादमिक संरचना के अनुसार मेजर विषय पर 54 क्रेडिट, माइनर विषय पर 28 क्रेडिट, वैकल्पिक विषय पर 18 क्रेडिट, कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम पर 12 क्रेडिट, आधार पाठ्यक्रम पर 24 क्रेडिट और फील्ड प्रोजेक्ट-इंटर्नशिप आदि पर 24 क्रेडिट मिलेंगे। कुल 160 क्रेडिट प्वाइंट होंगे। मल्टीपल एंट्री एंड मल्टीपल एग्जिट एक साल के सर्टिफिकेट कोर्स पर 40 क्रेडिट, सेकंड ईयर में डिप्लोमा पर 80 क्रेडिट, थर्ड ईयर में डिग्री पर 120 क्रेडिट और बैचलर डिग्री विद रिसर्च पर 160 क्रेडिट है। अब छात्रों को मार्क्स क्रेडिट प्रणाली के अनुसार ही मिलेंगे। प्रतिवर्ष सफल होने के लिए हर छात्र को 40 क्रेडिट अर्जित करना अनिवार्य है।


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