अर्जुन अरविंदकोटा। देश हो, राज्य हो या शहर। हिन्दुस्तान में अर्थव्यवस्था का पहिया किसान और उसकी खेती से ही घूमता है। लेकिन राजस्थान में अ...

अर्जुन अरविंदकोटा। देश हो, राज्य हो या शहर। हिन्दुस्तान में अर्थव्यवस्था का पहिया किसान और उसकी खेती से ही घूमता है। लेकिन राजस्थान में अर्थव्यवस्था का यह पहिया थम सा गया है। हाड़ौती अंचल में पिछले छह दिनों को हुई अत्यंत भारी बारिश ने फसलें बर्बाद कर दी हैं। यह इसलिए कि कोटा संभाग में ऐसी बारिश हुई कि चार माह में बरसने वाले बादल इन छह दिनों में ही रिकाॅर्ड तोड बरस गए। इससे हुआ ये, कि खेत दर खेतों में जलप्लावन रहा। खेत सुमद्र, सैलाब, दरिया और तालाब की शक्ल में दिखे। पानी उतरा तो फसलें चौपट, नष्ट दिख रही हैं। आसमानी आफत बारिश ने पहले किसान का कच्चा घर उजाडा, उसके साथ ही किसाान की खेतों की फसलों का दम घोंट दिया। किसाानों में बर्बादी की तस्वीरें से मायूस, उदासी, चिंता नजर आ रही है। क्योंकि हाड़ौती अंचल के कृषि विस्तार विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ. रामावतार शर्मा ने एनबीटी से कहा, कोटा संभाग में 11 लाख 68 हजार हेक्टेयर का खरीफ सीजन बुवाई का रकबा है। आधे जुलाई तक बारिश नहीं बरसी थी। ऐसे में बुवाई 10 लाख 9 हेक्टेयर में हो सकी। खराबे का शुरूआती आंकलन बताते हुए डाॅ. शर्मा ने कहा जो बुवाई हुई उसमें से भारी बारिश के कारण सवा से डेढ़ लाख हैक्टेयर की फसलें प्रभावित हुई हैं। और इनमें से 60 से 80 फीसदी ही नुकसान हुआ है। हालांकि संयुक्त निदेशक ने कहा कृषि विभाग जल्द फसल खराबें का सर्वे करवाएगा। तबाही की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। एनबीटी ने कृषि विभाग के शुरूआती आंकलन पर किसान प्रतिनिधि और अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा से अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों का पक्षा जाना। बोरदा का आंकलन है कि हाड़ौती में ऐतिहासिक बारिश हुई फिर बाढ़ आई। ऐसा समय देखा नहीं। कई किलोमीटर खेत जलप्लावन नजर आए हो। फसलें चैपट होने से किसानों की सीधी बर्बादी हुई हैं। कृषि विभाग के शुरूआती आंकलन पर काउंटर जवाब देते बोरदा ने कहा। बारिश से किसी किसान को बर्बाद करने से नहीं छोड़ा। 10 लाख 9 हजार हैक्टेयर में खरीफ सीजन की फसलें बोई गई हैं। ऐसे में हालात देखकर बोई गई 5 से 6 लाख हेक्टेयर की फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। प्रभावित फसलों में 50 से लेकर 100 फीसदी खराबा हो चुका हैं। साथ जहां पहले दिन जब हाड़ौती में बारिश 6 दिन के लिए बरसनी शुरू हुई तब से पानी खेतों में भरा हुआ है, या खेत जलमग्न हुए, उन खेतों की फसलें 100 फीसदी खराब हो गई। बीमा कंपनियों को न बचाए कृषि विभागकिसान प्रतिनिधि बोरदा ने कृषि विभाग को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग फसल बीमा कंपनियों को शुरूआती फसल खराबें का आंकलन कम बताकर बचाने का प्रयास न करें। कृषि विभाग बीमा कंपनियों का गुलाम ना बने। बोरदा ने कहा 5 से 6 लाख हैक्टैयर में खरीफ सीजन की फसलें तबाह और बर्बाद हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा खराबा सोयाबीन और उडद में हैं, तिल और मक्का भी चौपट हो चुकी हैं। किसान को संबल देने को सिर्फ धान की फसल बची हैं। लेकिन कुछ स्थानों पर यह फसल भी प्रभावित हुई हैं। बोरदा ने कहा प्रशासन को चाहिए वह तत्काल बिना किसी देरी के पटवारियों से ग्राम सेवकों और कृषि पर्यवेक्षकों से सर्वे करवाए। संभागीय आयुक्त कोटा संभाग के प्रभावित किसानों की ओर से सामूहिक फसल खराब क्लेम चाहने के लिए बीमा कंपनी को शिकायत देवें। क्योंकि बीमा कंपनियां सिर्फ क्राॅप कटिंग का ही क्लेम देती हैं। खेत में फसल बुवाई गई हो और वह नष्ट हो गई हो, तो इस फसल खराबे को बीमा कंपनियां नहीं मानती हैं। बुवाई गई मुख्य फसलों का रकबा
- सोयाबीन-6,21,553 हैक्टेयर
- उडद-1,67,971 हैक्टेयर
- मक्का-89810 हैक्टेयर
- तिल-4641 हैक्टेयर
- धान-78 हजार हेक्टेयर
- बाकी अन्य फसलें
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