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कर्नाटक की यात्रा पर जा रहे हैं येदियुरप्पा, बीजेपी को क्या मेसेज देना चाहते हैं?

बेंगलुरु कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बीएस येदियुरप्पा राज्य में यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा कोई साधारण य...

बेंगलुरु कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बीएस येदियुरप्पा राज्य में यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं मानी जा रही, उसके बहुत सारे निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी के अंदर भी उनकी यात्रा को लेकर खलबली है क्योंकि यह यात्रा ऐसे वक्त शुरू हो रही है जब उनके उत्तराधिकारी के रूप में जूनियर बोम्मई ने राज्य में अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है। यह तो सभी जानते हैं कि येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए केंद्रीय आलाकमान को काफी पसीना बहाना पड़ा है। यह शर्त तक कबूल करनी पड़ी कि उनका उत्तराधिकारी भी उनकी पसंद होगा। जिन बासवराज बोम्मई को नया मुख्यमंत्री चुना गया, उनकी गिनती येदियुरप्पा के सबसे विश्वासपात्र सहयोगी के रूप में होती आई है। बोम्मई ने भी मुख्यमंत्री बनने के बाद वैसी 'तेजी' नहीं दिखाई जैसी तीरथ सिंह रावत ने हड़बड़ी दिखाई थे। बोम्मई ने येदियुरप्पा सरकार का कोई फैसला नहीं बदला। वह यह संकेत देने की कोशिश में लगातार हैं कि येदियुरप्पा ही उनकी सरकार के अभिभावक हैं। राज्यपाल बनने को भी राजी नहीं बीजेपी आलाकमान पहले दिन से ही यह जानते हैं कि राज्य में दो-दो पावर सेंटर होना किसी भी सूरत में बोम्मई सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। इसीलिए उसकी पहले दिन से ही यह कोशिश है कि येदियुरप्पा को किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर कर्नाटक से दूर कर दिया जाए लेकिन येदियुरप्पा राज्यपाल बनने को राजी नहीं हो रहे। यहां तक कि आलाकमान ने उन्हें राजी करने को बोम्मई को भी जिम्मेदारी दी लेकिन वह भी उनको राजी नहीं कर पाए। अब जब येदियुरप्पा राज्य की यात्रा शुरू करने जा रहे हैं, उसका सीधा-सा अर्थ यही निकाला जा रहा है कि वह यह मेसेज देना चाहते हैं कि वह सक्रिय राजनीति से दूर नहीं हुए है। कर्नाटक उनके लिए अभी भी 'प्ले ग्राउंड' है। यात्रा के जरिए वह अपने समर्थकों को भी गोलबंद करना चाहेंगे जिनके अंदर स्वाभाविक रूप से इस विचार ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी होगी कि येदियुरप्पा की सियासी पारी अब खत्म हो गई है। यात्रा के जरिए वह मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अपनी सियासी ताकत का आंकलन भी करना चाहते हैं। बीजेपी को पुराने दिन आ रहे याद यह यात्रा बीजेपी की नहीं है। पार्टी का इससे दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। यह येदियुरप्पा की व्यक्तिगत यात्रा है। अब वहां की सरकार और संगठन दोनों के लिए यह धर्मसंकट है कि वह येदियुरप्पा की यात्रा को किस रूप में ले? अभी तक पार्टी के राज्य नेतृत्व ने इस यात्रा को लेकर अपनी जिला इकाइयों को कोई निर्देश जारी नहीं किया है। येदियुरप्पा का अतीत भी बीजेपी को परेशान किए हुए है। 2011 में भी जब उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था, तो वह खुद को सहज नहीं रख पाए थे और कुछ दिनों के बाद ही उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देते हुए अलग पार्टी बना ली थी। 2013 के चुनाव में राज्य में बीजेपी की हार का सबसे बड़ा कारण येदियुरप्पा का अलग पार्टी बनाना ही माना गया था। हालांकि, 2014 में उन्होंने बीजेपी में फिर से वापसी कर ली थी। उनकी इस यात्रा को दबाव की राजनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है। वह अपने बेटे के लिए राज्य की सियासत में कहीं बड़ा स्पेस चाहते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा भी कि अगर येदियुरप्पा पार्टी नहीं भो छोड़ते हैं तो भी उनका सक्रिय राजनीति में बने रहना राज्य के 2023 के चुनाव में उनकी दखलांदजी को बढ़ाएगा। बोम्मई के लिए यह सब कुछ अच्छा नहीं होगा। 1.5 करोड़ की कार होगी येदियुरप्पा के परिवार ने उन्हें राज्य का दौरा करने के लिए यही कोई डेढ़ करोड़ रुपये की एक लक्जरी कार दी है, ताकि उनकी यात्रा आराम देह हो। कार ऐसी है जिसमें वह भीड़ से गुजरते हुए अपना हाथ लहरा सकेंगे।


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