Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

गाजियाबाद के हालात भी चीन जैसे, सौर ऊर्जा मजबूरी नहीं, जरूरी है

गाजियाबाद कोयले की आवक थमने से चीन में ब्लैकआउट है। फैक्ट्रियों में शोर थम गया है। घरों में कैंडल लाइट डिनर हो रहा। वैश्विक स्तर पर अब बि...

गाजियाबाद कोयले की आवक थमने से चीन में ब्लैकआउट है। फैक्ट्रियों में शोर थम गया है। घरों में कैंडल लाइट डिनर हो रहा। वैश्विक स्तर पर अब बिजली के परंपरागत सोर्स से हटकर सौर ऊर्जा की चर्चा चल रही है। लेकिन, गाजियाबाद में हालात बिल्कुल चीन जैसे ही है। सौर ऊर्जा की बात बस कागजों तक है। सोलर सिस्टम पर सरकार सब्सिडी तो देती है, लेकिन इसका लाभ लेना आम लोगों के लिए टेढ़ी खीर है। औद्योगिक क्षेत्रों में प्लांट तो लगे हैं, लेकिन सौर ऊर्जा का इस्तेमाल महज उजाले तक सीमित है। चंद फैक्ट्रियों में ही पूरा प्रोडक्शन सोलर प्लांट से हो रहा। एक्सपर्ट का कहना है कि जल्द ही सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बड़े शहरों में हालात खराब हो सकते हैं। बिजली पर भारी निर्भरता गाजियाबाद, नोएडा दिल्ली, गुड़गांव जैसे शहरों में मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का कॉन्सेप्ट ज्यादा है। लिफ्ट से लेकर पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की निर्भरता बिजली पर है। चूंकि डीजल और सीएनजी सीमित है, ऐसे में अधिकतर जगह बिजली से ही ये मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। हालात बिगड़ने के आसार ग्रिड से बिजली की सप्लाई बाधित होने पर जेनरेटर इनका विकल्प होता है। लेकिन, दिल्ली एनसीआर में सर्दियों में स्मॉग और प्रदूषण की हालत ज्यादा खराब होती है। उस वक्त जेनरेटर पर भी रोक रहती है। एक्सपर्ट का कहना है कि उस वक्त अगर चीन जैसा बिजली संकट हुआ तो हालात बिगड़ सकते हैं। वैकल्पिक ऊर्जा उपायों पर ध्यान देने का समय ऐसे में अब समय आ चुका है कि बिजली के वैकल्पिक उपायों पर ध्यान दिया जाए। सोलर पैनल हर सोसायटी में जरूरी हो। यह केवल कागजों में दिखाने के लिए नहीं, बल्कि कुल बिजली खपत का कम से कम आधी क्षमता की ऊर्जा यहां से जरूर निकले। 'उद्योग पूरी तरह से हो जाएंगे बंद' उद्योगपति सुधीर अरोड़ा ने कहा कि बिजली का अभी कोई विकल्प नहीं है। सरकार ने दूसरे विकल्प बनने ही नहीं दिए। कभी प्रदूषण तो कभी दूसरी वजहों से ठंडे बस्ते में डाला गया। सीएनजी के इस्तेमाल का निर्देश दिया गया। गैस कंपनियों ने करोड़ों रुपये की डिमांड कर दी। इस एक फैसले ने कई फैक्ट्रियों के शटर गिरवा दिए। चीन जैसे हालात यहां हुए तो एक दिन भी फैक्ट्री नहीं चल सकेगी। उद्योग पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। 'छोटे उद्योगों की जान हैं जेनरेटर' स्वदेशी औद्योगिक क्षेत्र असोसिएशन के अध्यक्ष और उद्योगपति अनुज गुप्ता ने कहा कि यहां बिजली का केवल एक विकल्प जेनरेटर है। छोटे उद्योग तो जेनरेटर की बिजली का खर्च वहन ही नहीं कर सकते हैं। बिजली बंद हुई तो उनका प्रोडक्शन तुरंत रुक जाएगा। सौर ऊर्जा प्लांट यहां कामयाब नहीं है। इन्हें लगाने का खर्च और रखरखाव काफी महंगा है। सरकार अगर इसमें अनुदान दे तो यह बेहतर विकल्प हो सकता है। जरूरत 1800 मेगावाट की, प्लांट लगा है 27 मेगावाट का गाजियाबाद में 1200 से 1800 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है। यूपी नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा विकास अभिकरण (नेडा) के प्रोजेक्ट ऑफिसर और जिले के प्रभारी इंजीनियर पीपी सिंह ने बताया कि नेडा ने यहां 27 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाया है। ऐसे प्लांट के लिए बहुत ज्यादा जगह की जरूरत पड़ती है। पीपी सिंह इससे इत्तेफाक नहीं रखते कि चीन जैसे हालात यहां हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां हवा, पानी और गैस से भी बिजली बन रही है। कोयले की खपत तो लगातार कम हो रही है परंतु चीन जैसा संकट नहीं हो सकता है। नेडा ने 6 महीने के अंदर कुछ और बड़े सोलर प्लांट लगाने की तैयारी की है। उन्होंने बताया कि 100 से ज्यादा सौर ऊर्जा प्लांट घरेलू स्तर पर भी लगे हैं। पर्यावरण के जानकार बोले... पर्यावरण विद आकाश वशिष्ठ ने कहा कि गाजियाबाद में करीब 200 कंपनियों/फैक्ट्रियों से अधिक में सोलर प्लांट लगे हैं। लेकिन, ये कुल बिजली खपत का केवल 25 पर्सेंट ही उत्पादन करते हैं। 2-3 कंपनियां ऐसी भी हैं, जहां पूरी इंडस्ट्री चलाने के लिए सोलर प्लांट लगा है। सभी इंडस्ट्रियों में ऐसी ही व्यवस्था करने के लिए न्यूनतम 6 महीने का वक्त लगेगा। लेकिन, वक्त से ज्यादा इसमें खर्च बहुत आएगा। सरकार की तरफ से घरों में सोलर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है, लोगों के बीच न तो इस योजना की जानकारी है और न ही यह इतना आसान है। प्लांट के सर्वे और सब्सिडी पास करने का जिम्मा जिस अधिकारी के पास है, उसके क्षेत्र में कई जिले आते हैं। ऐसे कई महीनों की भागदौड़ के बाद लोग खुद ही सब्सिडी और सौर ऊर्जा का मोह छोड़ देते हैं। कुछ निजी कंपनियां ऐसी भी हैं जो 10 साल की गांरटी और 5 साल के मेंटिनेंस में सोलर सिस्टम लगाती हैं। लेकिन, 3-4 केवीए के सिस्टम के लिए 7-8 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3zVaQfR
https://ift.tt/3zSycTi

No comments