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किसी के जाने से पार्टी का नुकसान नहीं होता, यह सोचना गलत... पढ़िए कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा का बेबाक इंटरव्यू

चंडीगढ़/नई दिल्ली हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के लिए कहा जाता है कि के चलते वह मुश्किल दौर से गुजर रही है लेकिन राज्य ...

चंडीगढ़/नई दिल्ली हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के लिए कहा जाता है कि के चलते वह मुश्किल दौर से गुजर रही है लेकिन राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी स्थितियां अनुकूल नहीं हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उसे आंतरिक संकट से जूझना पड़ रहा है। प्रदेश अध्यक्ष शैलजा को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली में पार्टी विधायकों की जुटान हो चुकी है। कहा जा रहा है कि एक प्रभावशाली नेता के कहने पर यह जुटान हुई थी। महज 10 लोकसभा और 90 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में कांग्रेस के कई 'पावर सेंटर' माने जाते हैं। वर्चस्व की लड़ाई में पार्टी के जिलाध्यक्षों के नाम तक घोषित नहीं हो पा रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस के अंदर चल रही इस उठापटक पर एनबीटी नेशनल ब्यूरो की विशेष संवाददाता मंजरी चतुर्वेदी ने बात की सांसद दीपेंद्र हुड्डा से जो इन दिनों राज्य में डिप्लोमेसी पॉलिटिक्स के लिए भी चर्चा में हैं। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:
  1. आप इन दिनों बहुत ज्यादा सक्रिय हैं। नाराज नेताओं के साथ चाय पी रहे हैं, कोई खास वजह?कोई खास वजह तो नहीं लेकिन क्या नाराज बैठे लोगों के साथ चाय पीकर उन्हें वापस लाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए? जब पार्टी से विमुख या नाराज लोगों को जोड़ेंगे, तभी तो राहुल गांधी जी का कारवां आगे बढ़ेगा।
  2. कांग्रेस पार्टी अपने जिन नेताओं में भविष्य देख रही थी, अगर वे पार्टी छोड़ने लग जाएं तो उसे किस नजरिये से देखा जाना चाहिए? कुछ ही समय के अंतराल में ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और सुष्मिता देव जैसे युवा चेहरे चले गए। क्या यह पार्टी के लिए नुकसान की बात नहीं है?मैं उनमें से तो नहीं हूं, जो कहे कि अगर कोई जाता है तो पार्टी को नुकसान नहीं होता। अगर एक कार्यकर्ता या एक वोटर भी अलग होता है तो उससे नुकसान होता है। पार्टी परिवार होती है। अगर एक भी व्यक्ति अलग हो तो उस पर पार्टी को विचार करना चाहिए। जिन लोगों के पार्टी छोड़ने का आपने जिक्र किया, वे प्रभावशाली लोग हैं, लंबे समय तक लोकसभा में मेरे साथ रहे हैं लेकिन लोकतंत्र में सबको अपने फैसले करने का अधिकार है। हमें इन चीजों पर ज्यादा ध्यान न देकर इस पर फोकस रखना चाहिए कि कैसे कांग्रेस विपक्ष के तौर पर ज्यादा मजबूत होकर उभर सके।
  3. हरियाणा में भी स्थितियां बेहतर नहीं हैं, अंदर ही अंदर बहुत कुछ चल रहा है, आप उसे महसूस कर रहे हैं या नहीं?मैं कांग्रेस वर्किंग कमेटी का मेंबर हूं। संगठन को लेकर मैं अपनी राय उसी मंच पर रखना सही समझता हूं। आपने पार्टी के भीतर की स्थिति का जिक्र किया तो निश्चित रूप से उस पर मंथन करने की जरूरत है और पार्टी मंथन कर भी रही है। उसके अनुसार फैसले भी लिए जा रहे हैं।
  4. पिछले दिनों हरियाणा कांग्रेस के 23 विधायकों ने दिल्ली में पार्टी के संगठन महासचिव से मुलाकात कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने की मांग की। यह भी कहा जा रहा है कि ऐसा राज्य के एक बेहद प्रभावशाली नेता के कहने पर हुआ?यह सच है कि हरियाणा के हमारे 23 विधायक संगठन महासचिव से मिले थे। इस मुलाकात में उन्होंने क्या मांग की, इसकी जानकारी हमारे पास नहीं हैं। काफी अर्से से हमारे जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का मामला भी चल रहा है। यह मुलाकात उसके मद्देनजर और संगठन को कैसे मजबूत बनाया जाए, इन पर चर्चा के लिए बताई जा रही है। पार्टी के विधायक पार्टी के प्लेटफार्म पर ही अपनी बात रखेंगे।
  5. कहा जाता है कि जिस तरह की परिस्थितियों का कांग्रेस को पंजाब में सामना करना पड़ रहा है, वैसी ही स्थिति हरियाणा में भी बन सकती है, आपकी टिप्पणी?मैं ऐसा नहीं मानता।
  6. हरियाणा में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी कौन हो सकता है?इस सवाल का जवाब देने का न तो यह उचित समय है और न ही उचित मंच।
  7. किसान आंदोलन से हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित है, उसकी क्या वजह आप मानते हैं?उसके लिए पूरी तरह से बीजेपी सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार राज-हठ पर है कि किसानों की मांगों को नहीं माना जाएगा। किसानों को आंदोलन करते दस महीने हो चुके हैं। जहां तक हरियाणा सरकार की बात है तो मुझे लगता है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर किसान विरोधी सीएम की स्पर्धा में तमगा जीतना चाहते हैं। हरियाणा को एक ऐसी प्रयोगशाला बना दिया गया है, जहां नित्य नए प्रयोग होते रहते हैं कि किसानों की आवाज को बलपूर्वक कैसे दबाया या रोका जाए।
  8. संसद के पिछले सत्र में कोई रास्ता निकलने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन बात नहीं बन पाई, ऐसा क्यों हुआ?मेरा सवाल है कि क्या संसद सिर्फ कानून बनाने के लिए है, देश के लिए महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए नहीं है? अगर हम संसद के भीतर अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं कर सकते तो क्या सदन में देश के मौसम पर बात करने के लिए जाते हैं? लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी बात रखने देने की जिम्मेदारी भी सरकार की है। मैं यह नहीं कहता कि विपक्ष की मनमानी चले, लेकिन सरकार की भी मनमानी नहीं चलेगी।
  9. संसद के आगामी सत्र में गतिरोध न होने पाए, इसका क्या रास्ता हो सकता है?सरकार की हठधर्मिता के चलते गतिरोध हुआ, अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि आगामी सत्र से पहले वह सर्वदलीय मीटिंग बुलाए। वह उन मुद्दों की अहमियत को स्वीकारे जिन्हें विपक्ष उठाना चाहता है।


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