Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

Breaking News:

latest

चन्नी को 'चेला' और खुद को 'सुपर CM'! सिद्धू से कांग्रेस आलाकमान क्यों हुआ खफा?

चंडीगढ़ पंजाब में कांग्रेस का संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से के इस्तीफे के बाद सीएम चरणजीत सिंह ने ...

चंडीगढ़ पंजाब में कांग्रेस का संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से के इस्तीफे के बाद सीएम चरणजीत सिंह ने चंडीगढ़ में कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई है। हरीश रावत और हरीश चौधरी भी सिद्धू को मनाने और सियासी संकट सुलझाने चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। इस बीच नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा पार्टी आलाकमान ने मंजूर नहीं किया है और उन्हें मनाने की कोशिश जारी है। हालांकि, इस हलचल के बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई और सिद्धू को पंजाब कांग्रेस चीफ से इस्तीफा देना पड़ा? सिद्धू की ताजी नाराजगी की वजह? पंजाब की कमान चरणजीत सिंह चन्नी को सौंपे जाने के फैसले को सिद्धू ने अपनी जीत की तरह दिखाया। खुद को सुपर सीएम की तरह प्रोजेक्ट करते हुए सिद्धू चन्नी के कंधे पर हाथ रखकर कई जगह चलते हुए देखे गए। लेकिन चन्नी मंत्री पद और अफसरों की तैनाती के मुद्दे पर सिद्धू को चलने नहीं दी। आईपीएस सहोता को डीजीपी बनाए जाने पर सिद्धू नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को क्लीन चिट देने वाले को डीजीपी बनाया गया है। इसके अलावा पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी के वकील को महाधिवक्ता बनाए जाने के फैसले से सिद्धू नाराज हो गए। सिद्धू राणा गुरजीत सिंह, ब्रह्म मोहिंद्रा और विजय इंदर सिंगला को दोबारा मंत्री बनने नहीं देना चाहते थे। इस मामले में भी उनकी नहीं चली। तीनों को फिर से मंत्री बना दिया गया। क्या संदेश है पार्टी आलाकमान का? मंत्रिमंडल गठन को लेकर राहुल गांधी ने जब चन्नी को बुलाया तो सिद्धू उनके साथ जाना चाहते थे। लेकिन पार्टी हाईकमान ने सिद्धू को मना करके केवल चन्नी को बुलाया। आखिरी बैठक में सिद्धू की दी गई लिस्ट को बदल दिया। सिद्धू के विरोध के बावजूद सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह विभाग दिया गया। कहा जाता है कि पार्टी के भीतर कामकाज को सिद्धू के खिलाफ दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक विरोध होने लगा। चन्नी के सीएम बनने के बाद सिद्धू ने यह दर्शाना शुरू कर दिया कि चन्नी उनके कहे में चलेंगे। सार्वजनिक मौकों पर वह जिस तरह चन्नी पर हावी होतो नजर आए, यह पार्टी को पसंद नहीं आया। चन्नी ने मंझे नेता जैसा बर्ताव किया सिद्धू ने नए सीएम चन्नी को भी अपने हिसाब से चलाने की कोशिश की। लेकिन अनुभवी नेता होने के नाते चन्नी ने अपने विवेक से काम लिया। चन्नी अपने अनुसार नियुक्तियां करते रहे। उन्हें लगने लगा अगर शुरू से वे सिद्धू की बात मानने लगे तो आगे दिक्कत हो सकती है। कहा जाता है कि सिद्धू यह मान बैठे थे कि 2022 में उन्हें ही सीएम पद का चेहरा बनाया जाएगा। जैसे-जैसे उनका इंतजार लंबा होगा तो वो बेचैन हो जाएंगे। जिस तरह कैप्टन का विरोध किया, वैसा ही विरोध चन्नी को झेलना पड़ सकता है। इसलिए चन्नी ने रणनीति बनाई कि सादगी से अपना काम करते जाएं और बिना शोर-शराबे वाली अपनी इमेज पर फोकस किया जाए।


from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3kMOR6q
https://ift.tt/3EY9THb

No comments