ललिता व्यास जोधपुर। प्रदेश में जहां पंचायती राज चुनाव में सरगर्मियां जारी है। वहीं इसी बीच राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ की ओर से जार...

ललिता व्यास जोधपुर। प्रदेश में जहां पंचायती राज चुनाव में सरगर्मियां जारी है। वहीं इसी बीच राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ की ओर से जारी आदेश के बाद हनुमान बेनीवाल की पार्टी और राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल ताऊसर नागौर की बंजारा बस्ती में अतिक्रमण हटाने के दौरान भीड़ की ओर से जेसीबी चालक की हत्या कर देने के मामले में राज्य सरकार की ओर से आरएलपी के दो विधायको के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी वापस लेने के लिए 20 फरवरी 2021 को जारी आदेश को निरस्त कर दिया गया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब आरएलपी को दो विधायक पुखराज गर्ग और इन्द्रा बावरी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।उच्च न्यायालय ने नागौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार कार्रवाई करने को कहा है। कोर्ट ने पेश हुए एएजी और विशिष्ट शासन सचिव (गृह) न्यायाधीश पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान एएजी फरजंद अली के साथ विशिष्ट शासन सचिव (गृह) वी सर्वना कुमार व्यक्तिगत रूप से पेश हुये। न्यायालय ने इन दोनों से पूछा था कि किन परिस्थितियों में राज्य सरकार ने दोनों विधायकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को विड्रॉ किया है और इसमें क्या जनहित है । ऐसे में अदालत की ओर से राज्य सरकार को भी झटका लगा है। वहीं पूछे गए सवाल अधिकारियों ने न्यायालय को बताया कि बंजारा बस्ती में न्यायालय के आदेश से ही अतिक्रमण हटाया जा रहा था। इस दौरान वहा काफी संख्या में लोग एकत्र हो गये थे और वाहन की टक्कर में जेसीबी चालक की मौत हो गई थी। काफी संख्या में लोगों एकत्रित होने के कारण जनप्रतिनिधि होने के नाते दोनों विधायक पुखराज गर्ग व इंद्रा बावरी भी मौके पर मौजूद थे और यह स्वाभाविक है। इस कारण राज्य सरकार ने इन दोनों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी वापस लेना का निर्णय लिया था। अभियोजन वापस लेना का प्रार्थना पत्र विचाराधीनस्टेट लेवल कमेटी ने यह निर्णय 20 फरवरी 2021 को लिया और सीजेएम नागौर के समक्ष आवेदन किया ,लेकिन अभी तक अभियोजन वापस लेना का प्रार्थना पत्र विचाराधीन है। उच्च न्यायालय ने मामले पर पूरी सुनवाई के बाद स्टेट लेवल कमेटी की ओर से अभियोजन वापस लेने के आदेश को निरस्त कर दिया वही सीजेएम नागौर को नियमानुसार कार्यवाही करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही अब दोनों विधायको के लिए भी मुश्किलें बढ़ गई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता के इस्तीफे का मामलामामले की सुनवाई होने से पूर्व ही उच्च न्यायालय को जानकारी मिली की राज्य सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए एएजी फरजंद अली के स्थान पर किसी अन्य अतिरिक्त महाधिवक्ता को जिम्मेदारी सौंप दी थी। इससे खफा होकर फरजंद अली ने अतिरिक्त महाधिवक्ता का पद त्याग दिया और उन्होने कोर्ट में उपस्थित रहने में असमर्थता जता दी। न्यायालय ने इस मामले में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि जब मामले में न्यायालय ने एएजी फरजंद अली को अस्सिट करने के लिए कहा था तो सरकार किसी अन्य को नियुक्त कैसे कर सकती है। इस पर एएजी संदीप शाह ने न्यायालय के समक्ष कहा कि उनके पास गृह विभाग से विशिष्ठ शासन सचिव (गृह) वी सर्वना के ओर से पैरवी का आदेश आया था।उन्होने कहा कि मेरी भावना किसी को आहत करने की नहीं थी। एएजी का इस्तीफा मंजूर ना करे सरकार वही एएजी फरजंद अली ने कहा कि मेरी भावना भी किसी को आहत करने की नहीं है। विभाग की ओर से अचानक आदेश आने पर मेरी भावना आहत होने पर मैंने इस्तीफा भेजा है और पैरवी से इंकार किया है। इस पर न्यायालय ने कहा कि एएजी फरजंद अली कृपया आप केवल इस बात पर इस्तीफा नहीं दे, व्यक्तिगत कारण कुछ भी हो। साथ ही सरकार को इस बात पर इस्तीफा मंजूर नहीं करने के लिए कहा और उनसे इस मामले में न्यायालय को अस्सिट करने के लिए कहा, तो उन्होंने सरकार का पक्ष रखा।वहीं एएजी संदीप शाह ने भी इस मामले में पक्ष रखा। दोनों के मनमुटाव भी कम होते नजर आये।
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