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Viral Fever : बिहार में बीमारी का ट्रिपल अटैक, कोरोना और डेंगू के बाद वायरल फीवर का कहर, 24 घंटे में 113 बच्चे भर्ती

शीजान नेजामी, टीएनएन बिहार में पीड़ित बच्चों से अस्पताल भरते जा रहे हैं। मंगलवार को 830 बच्चे अस्पताल पहुंचे, जिनमें 113 को एडमिट किया गय...

शीजान नेजामी, टीएनएन बिहार में पीड़ित बच्चों से अस्पताल भरते जा रहे हैं। मंगलवार को 830 बच्चे अस्पताल पहुंचे, जिनमें 113 को एडमिट किया गया। ये सिर्फ और सिर्फ सरकारी अस्पतालों के आंकड़े हैं। प्राइवेट अस्पतालों/डॉक्टरों से इलाज करनेवालों की संख्या इससे बहुत ज्यादा है। जिनका रिकॉर्ड फिलहाल स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। से अबतक 14 बच्चों की मौत बिहार के सरकारी अस्पतालों में इस महीने अबतक कम से कम 6 हजार 800 वायरल बुखार के मामले आ चुके हैं। जबकि 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कुमार सिंह ने कहा कि 'ये आंकड़े जिला और उपमंडल अस्पतालों सहित विभिन्न सरकारी अस्पतालों से उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य के निजी अस्पताल भी वायरल बुखार से पीड़ित कई बच्चों का इलाज कर रहे हैं। ज्यादातर बच्चे ओपीडी में जांच के बाद घर लौट जाते हैं। उन्हें दवाएं दे दी जाती है। कुछ बच्चे उचित दवा लेने के बाद पांच से छह दिनों में ठीक हो जाते हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। वायरल बुखार की शिकायत के साथ सरकारी अस्पताल आने वाले किसी भी बच्चे में अबतक कोविड पॉजिटिव के लक्षण नहीं पाए गए।' 'बाढ़ की पानी में कमी साथ बढ़ता है वायरल'संजय कुमार सिंह की मानें तो 'बाढ़ के पानी में कमी के साथ बच्चों में वायरल बुखार के मामले बढ़ जाते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह मौसम का उमस से भरा होना है। ऐसा हर साल होता है। इसलिए, माता-पिता को घबराना नहीं चाहिए।' पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ निगम प्रकाश नारायण ने कहा कि 'माता-पिता को अपने बच्चों को वायरस से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इस तरह के वायरल मामले हर साल होते हैं, हालांकि यह इस साल की शुरुआत में हुआ है। इन मामलों का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, लोगों को अपने आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए।' 'बुखार होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें' मुजफ्फरपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण शाह ने भी माता-पिता को सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने और अपने बच्चों को हाथ की स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि 'वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों में दवाओं का असर देखा जा रहा है। हालांकि, माता-पिता को अपने बच्चों की देखभाल करनी चाहिए। भूख न लगने और सांस लेने में तकलीफ होने पर बिना देर किए नजदीक के बाल रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। लगातार तेज बुखार होने पर डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए।'


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