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एक बेड पर तीन-तीन मरीज: फरीदाबाद में 1 लाख की आबादी पर जिला अस्पताल में केवल 11 बेड

फरीदाबाद नीति आयोग ने जिला अस्पतालों के कामकाज में बेहतर गतिविधियां नाम से रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार फरीदाबाद के जिला अस्पताल में ए...

फरीदाबाद नीति आयोग ने जिला अस्पतालों के कामकाज में बेहतर गतिविधियां नाम से रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार फरीदाबाद के जिला अस्पताल में एक लाख की आबादी पर केवल 11.05 बेड ही उपलब्ध हैं। ये इतनी बड़ी आबादी के लिहाज से ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। नीति आयोग ने 2018-19 के दौरान देश के सभी राज्यों में जिला अस्पतालों का सर्वे किया था, उसी के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अनुसार उस समय फरीदाबाद की आबादी 180733 थी। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह आबादी सबसे अधिक बीके सिविल अस्पताल पर निर्भर है। इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी शहर में केवल 200 बेड का जिला सिविल अस्पताल है, जो स्मॉल कैटेगिरी में आता है। वहीं, अगर स्टाफ की बात करें, तो स्टाफ की कमी भी यहां पर बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार यहां पर डॉक्टरों की 48 पोस्ट सेंशन हैं, जिनमें से केवल 34 पर ही डॉक्टर कार्यरत हैं। एक साल के दौरान यहां पर ओपीडी में औसतन 553086 मरीज पहुंचते हैं। एक बेड पर तीन-तीन मरीज रहते हैं सिविल अस्पताल में केवल 200 बेड हैं और फिलहाल सभी बेड चालू हालत में हैं। कोरोना काल में यहां पर बेड की काफी किल्लत देखने को मिली थी। वहीं, अब बुखार, डेंगू, मलेरिया, डायरिया व अन्य मौसमी बीमारियों का दौर चल रहा है, तो भी यहां पर लगभग सभी बेड फुल हो गए हैं। अस्पताल की इमरजेंसी में लगभग सभी बेड फुल हैं। वहीं, ऊपरी मंजिलों पर बने बच्चा वॉर्ड व अन्य वॉर्ड में भी बेड लगभग भरे हुए हैं। शनिवार को बच्चा वॉर्ड में एक बेड पर दो-दो बच्चे भी दिखाई दिए। बेड भरे होने की स्थिति में कई बार देखने में आता है कि इमरजेंसी में मरीज का स्ट्रेचर पर ही इलाज शुरू कर दिया जाता है। 200 बेड की यूनिट प्रस्तावित है हालांकि बीके सिविल अस्पताल के विस्तार की योजना बनाई जा चुकी है। यहां पर 200 बेड का मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट बनाई जानी है। इस यूनिट में केवल गर्भवती महिलाओं व बच्चों का इलाज होगा। इसके बाद फिलहाल लगे हुए 200 बेड पर अन्य मरीजों का इलाज हो सकेगा। 200 बेड की मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट को मंजूरी मिल चुकी है। पीडब्ल्यूडी को इसकी बिल्डिंग का निर्माण करना है, कुछ पैसा भी उनके खाते में भेजा जा चुका है, लेकिन अभी कुछ औपचारिकताएं बाकी होने कारण इस यूनिट का काम शुरू नहीं हो सकता है। कोरोना के मद्देनजर बीके अस्पताल में 102 बेड का एक अस्थायी अस्पताल भी स्थापित किया गया है, जिसकी लाइफ 10 से 15 साल होगी। इस अस्पताल का स्ट्रक्चर तैयार है, बेड लग चुके हैं और अब यहां बिजली, सीवर, सड़क व पानी संबंधित काम होने बाकी हैं। समस्याएं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत:
  • जिले की आबादी के हिसाब से बीके सिविल अस्पताल में बेड की संख्या काफी कम है। यहां पर 200 बेड की नई यूनिट को मंजूरी मिल गई है, लेकिन अभी तक उसे बनाने का काम भी शुरू नहीं हो सकता है।
  • यहां पर नई यूनिट बनाने के साथ ही सरकार को नहर पार क्षेत्र में भी कम से कम 200 बेड का एक अस्पताल तैयार करना चाहिए ताकि सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राय
  • आईएमए के मीडिया प्रभारी सुनील अरोड़ा ने बताया कि सरकार पीपीपी मोड पर भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कर सकती है। यहां स्टाफ की कमी भी लंबे समय से बनी हुई है।
  • डॉक्टरों को पर्याप्त सैलरी नहीं मिलती है, जिसके चलते वह नौकरी छोड़कर खुद प्रैक्टिस करने लगते हैं। ब्यूरोक्रेट्स नहीं चाहते कि डॉक्टरों की सैलरी उनसे अधिक हो, जबकि डॉक्टरों के पास काम अधिक है।
  • सैलरी नहीं बढ़ानी हो डॉक्टरों को इनसेंटिव मिला चाहिए। उन्हें सरकारी अस्पताल में काम करने के साथ ही अलग प्रैक्टिस करने की मंजूरी मिले, तो इस स्थिति में सुधार हो सकता है।


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