पटना 6 साल एक अर्से से कम नहीं होता, 6 साल में तो लोग शक्ल भूल जाते हैं। लेकिन बात लालू की है तो समर्थकों के साथ विरोधियों को भी इंतजार ह...
पटना 6 साल एक अर्से से कम नहीं होता, 6 साल में तो लोग शक्ल भूल जाते हैं। लेकिन बात लालू की है तो समर्थकों के साथ विरोधियों को भी इंतजार है कि 6 साल बाद उपचुनाव की सभा में प्रचार करने जा रहे लालू क्या बोलेंगे। हालांकि पिछले दो चुनाव (2019 लोकसभा चुनाव और 2020 बिहार विधानसभा चुनाव) में जेल में थे। इस कारण समर्थकों की मुराद पूरी न हो पाई। आज तारापुर-कुशेश्वरस्थान में लालू की चुनावी सभा लालू प्रसाद यादव की आज तारापुर और कुशेश्वरस्थान में चुनावी सभा है। इसके लिए आरजेडी ने बड़े पैमाने पर तैयारी की है। आरजेडी का दावा है कि जिस तरह से लालू ने अपने एक बयान से 2015 बिहार विधानसभा चुनाव का रुख मोड़कर महागठबंधन की तरफ कर दिया था, ठीक उसी तरह से इस उपचुनाव में भी लालू वैसा ही चमत्कार दिखाएंगे। लेकिन उससे पहले लालू को अपने ऊपर मांझी के सबसे बड़े हमले का भी जवाब देना पड़ सकता है। तब एक अणे मार्ग में रची जाती थी हत्या की साजिश जीतनराम मांझी ने खुले मंच से आरोप लगाया कि लालू-राबड़ी राज में एक अणे मार्ग में हत्या की साजिश रची जाती थी। मांझी ने दावा किया कि वो खुद इसके गवाह रहे हैं और उनके सामने ये सबकुछ होता था। मांझी ने यहां तक कहा कि लालू प्रसाद यादव के राज में पैसे लाने वाले अफसरों तक को वो जानते हैं लेकिन उनका नाम नहीं लेना चाहते। लालू खुद मरवाते और फिर सहानुभूति बटोरते थे - मांझी मांझी यहीं नहीं रुके, उन्होंने दावा किया कि 'तब एक अणे मार्ग यानि सीएम आवास में सूटकेस में रुपये लाए जाते थे, हम किसी अफसर का नाम नहीं लेना चाहते। जैसे ही सूटकेस लेकर निकले, उसके तीसरे दिन एक गरीब टोला में बूढ़ा-बुजुर्ग को मार दिया गया। फिर वहीं जाकर (लालू) भाषण देने लगे कि हे गरीबों एक हो, हम हैं तो ये हाल है। सोचो, नहीं होते तो क्या होता।' नीतीश का 'गोली' वाला बयान रही-सही कसर सीएम नीतीश ने चुनाव प्रचार से लौटने के बाद निकाल दी। तारापुर और कुशेश्वरस्थान चुनाव प्रचार कर पटना वापस लौटे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एयरपोर्ट पर पत्रकारों से रूबरू हुए। जब उनसे पूछा गया कि लालू प्रसाद यादव ने यह कहा है कि वे नीतीश कुमार का विसर्जन करने ही पटना पहुंचे है। इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि इससे बेहतर होगा कि वह गोली ही मरवा दें। नीतीश कुमार ने कहा कि लालू यादव गोली मरवा सकते हैं लेकिन इस से ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने लालू यादव के चुनाव प्रचार किए जाने के सवाल पर हमेशा यह कह रहा है कि वह तो जेल में बैठकर भी यही काम करते रहते हैं। क्या नीतीश ये बयान देकर कर गए गलतीयूं तो सीएम नीतीश कुमार ने इस बयान के जरिए बिहार की जनता को लालू-राबड़ी के जंगलराज की याद दिलाने की कोशिश की है। राजनीति के जानकार इसके दूसरे पहलू की भी बात कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि गुड गवर्नेंस और सख्त लॉ एंड ऑर्डर के साथ सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार ने कहीं यह बयान देकर गलती कर गए हैं। जहां तक लालू यादव मामूली मुद्दों को हवा देकर माहौल बनाने के लिए जाने जाते हैं। खुद नीतीश कुमार ने कहा है कि लालू यादव उन्हें गोली मरवा सकते हैं। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव की ओर से बिहार की खराब लॉ एंड ऑर्डर पर उठाए जा रहे सवाल को हवा मिल सकती है। सीएम नीतीश की ओर से गोली मारने वाले बयान के बाद आरजेडी की ओर से आई प्रतिक्रिया में साफ हो चुका है कि वह इसे मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रचारित करने के लिए तैयार हैं।
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