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अब भी हिरासत में प्रियंका गांधी, कांग्रेसियों का फूटा गुस्सा, सीतापुर में जमकर हंगामा

सीतापुर/लखीमपुर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के वकीलों को 24 घंटे से अधिक समय बाद भी उनसे मिलन...

सीतापुर/लखीमपुर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के वकीलों को 24 घंटे से अधिक समय बाद भी उनसे मिलने नहीं दिया गया। यही नहीं प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लेने की कोई कानूनी वजह भी अब तक नहीं बताई है। सीतापुर के पीएसी द्वितीय वाहिनी परिसर में हिरासत में रखी गईं प्रियंका गांधी को हरगांव में सोमवार सुबह साढ़े चार बजे हिरासत में लिया गया था। कानूनी रूप से किसी को 24 घंटे से ज़्यादा हिरासत में नहीं रखा जा सकता, लेकिन प्रशासन आगे की योजना को लेकर मुंह नहीं खोल रहा है। प्रियंका गांधी ने साफ कहा है कि वे हिरासत से छूटते ही जाकर शहीद किसानों के परिजन से मिलेंगी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर प्रशासन को किसी तरह की आशंका है तो अपनी निगरानी में उनके समेत चार लोगों के कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को परिजन से मिलाने ले जाए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बार-बार 'ऊपर का आदेश' या 'ऊपर से पूछकर बताते हैं' जैसी बात कहकर टरका रहे हैं। बाहर दिन-रात डटे कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रियंका गांधी के साथ प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. वी. श्रीनिवास, एमएलसी दीपक सिंह भी हिरासत में हैं। बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता डटे हुए हैं। शाम को शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौन सभा भी हुई। कार्यकर्ता गेस्ट हाउस के बाहर सड़कों पर ही बिस्तर लगाकर रात में सो भी गए। प्रियंका से प्रशासन के व्यवहार पर आपत्ति इस बीच कांग्रेस का आरोप है कि प्रियंका गांधी से योगी प्रशासन लगातार अशालीन व्यवहार कर रहा है। प्रियंका ने कुछ मीडिया संस्थानों से बात की जिसे लेकर भी वह भड़का हुआ है। प्रशासन ने उन्हें एक धूल भरे कमरे में रखा था, जिसे प्रियंका ने खुद झाड़ू लगाकर साफ किया। इसका वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन ने ऐसा रुख अपनाया जैसे कि वीडियो बनाने से कोई अपराध हुआ हो। प्रशासन की ओर से कहा गया कि अब प्रियंका गांधी के कमरे में दो पुलिस वाले बैठकर निगरानी करेंगे। ऐसी आपत्तिजनक बात की तीखी प्रतिक्रिया हुई तो वह बैकफुट पर आया। पढ़ें: मृतकों के परिजन से मिलने की बात पर अड़ीं प्रियंका प्रियंका गांधी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे लखीमपुर जाकर शहीद किसानों के परिजन से मिले बिना नहीं लौटेंगी। प्रशासन ने मुआवजे की मांग तो मान ली है लेकिन पूरे घटनाक्रम के मूल में मौजूद केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र को अब तक बरखास्त नहीं किया गया है, जो किसानों की सबसे बड़ी मांग है। प्रियंका गांधी ने दोहराया है कि कांग्रेस पार्टी पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी है और यूपी के तानाशाही निजाम को खत्म करके ही दम लेगी। घटना के बाद लखीमपुर जा रही थीं प्रियंका गांधी इसके पहले बीती रात लखनऊ से निकलने के दौरान प्रियंका गांधी को जगह-जगह रोकने की कोशिश हुई। प्रियंका गांधी की गाड़ी लखनऊ में रोक ली गई तो वे पैदल ही चल पड़ीं। बाद में दूसरी गाड़ी में बैठ कर आगे बढ़ीं। प्रियंका को लखनऊ से निकलने से रोकने के लिए तमाम सड़कों और टोल नाकों पर भारी पुलिसिया इंतजाम किया गया था। भारी बारिश भी हो रही थी, लेकिन प्रियंका गांधी का काफिला लगातार पुलिस बैरिकेडिंग से टकराते आगे बढ़ा और आगे चलकर उसने मुख्य रास्ता छोड़ दिया। पढ़ें: प्रियंका गांधी को रोकने के लिए लखनऊ से लखीमपुर के रास्ते को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया, लेकिन उनका काफिला हरगांव तक पहुंच ही गया। वहां पुलिस वालों ने प्रियंका और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ काफी अभद्रता की। प्रियंका ने बार-बार हिरासत में लिये जाने का आधार पूछा, लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था। सुबह करीब साढ़े चार बजे प्रियंका गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को जबरदस्ती हिरासत में ले लिया गया।


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