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लखीमपुर कांड में प्रियंका के तल्ख तेवर की इंदिरा से तुलना, क्या 'बेलछी कांड' की तरह कांग्रेस को दे सकेगा यूपी में संजीवनी?

'अगर इस गाड़ी में मुझे ले जाओगे तो मेरा अपहरण करोगे। जबरदस्ती धकेलकर ले जा रहे हो मुझे, तुम्हारा कोई हक नहीं है। छू के देखो मुझे...।'...

'अगर इस गाड़ी में मुझे ले जाओगे तो मेरा अपहरण करोगे। जबरदस्ती धकेलकर ले जा रहे हो मुझे, तुम्हारा कोई हक नहीं है। छू के देखो मुझे...।' लखीमपुर जाने से रोकने पर रात में प्रियंका का यह रौद्र रूप दिखा। यूपी चुनाव से ठीक पहले लखीमपुर कांड ने कांग्रेस को बड़ा मुद्दा दे दिया है। प्रियंका गांधी रात ही पहले लखनऊ और फिर लखीमपुर के लिए रवाना हुईं, तो रोके जाने पर उनके तेवर बेहद तल्ख दिखे। ऐसे में बेलछी कांड, इंदिरा गांधी और कांग्रेस का वह दौर फिर ताजा हो गया है। घटना का कोई मेल नहीं है, लेकिन कांग्रेस की हालत का कनेक्शन इससे जुड़ता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका यूपी में कांग्रेस में फिर जान फूंक पाएंगी?

Priyanka Gandhi on Lakhimpur Kheri Incident : लखीमपुर की घटना पर जिस तरह से प्रियंका गांधी पीड़ित किसानों से मिलने की जिद पर लगातार अड़ी रहीं, उसे देखकर लोग इस घटना की तुलना 1977 में हुए बिहार के बेलछी कांड में इंदिरा के सख्त अंदाज से कर रहे हैं। आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी ने जनता के बीच अपना विश्वास खो दिया था और 1977 का चुनाव हार गई थीं। फिर बेलछी कांड के बाद इंदिरा के सख्त अंदाज से उनका राजनीतिक पुनरुत्थान हुआ था।


लखीमपुर कांड में प्रियंका के तल्ख तेवर की इंदिरा से तुलना, क्या 'बेलछी कांड' की तरह कांग्रेस को दे सकेगा यूपी में संजीवनी?

'अगर इस गाड़ी में मुझे ले जाओगे तो मेरा अपहरण करोगे। जबरदस्ती धकेलकर ले जा रहे हो मुझे, तुम्हारा कोई हक नहीं है। छू के देखो मुझे...।' लखीमपुर जाने से रोकने पर रात में प्रियंका का यह रौद्र रूप दिखा। यूपी चुनाव से ठीक पहले लखीमपुर कांड ने कांग्रेस को बड़ा मुद्दा दे दिया है। प्रियंका गांधी रात ही पहले लखनऊ और फिर लखीमपुर के लिए रवाना हुईं, तो रोके जाने पर उनके तेवर बेहद तल्ख दिखे। ऐसे में बेलछी कांड, इंदिरा गांधी और कांग्रेस का वह दौर फिर ताजा हो गया है। घटना का कोई मेल नहीं है, लेकिन कांग्रेस की हालत का कनेक्शन इससे जुड़ता है। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रियंका यूपी में कांग्रेस में फिर जान फूंक पाएंगी?



प्रियंका के तेवर की दादी इंदिरा से तुलना
प्रियंका के तेवर की दादी इंदिरा से तुलना

जिस तरह से प्रियंका गांधी पीड़ित किसानों से मिलने की जिद पर लगातार अड़ी रहीं, उसे देखकर लोग इस घटना की तुलना 1977 में हुए बिहार के बेलछी कांड में इंदिरा के सख्त अंदाज से कर रहे हैं। जिस तरह आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी ने जनता के बीच अपना विश्वास खो दिया था और 1977 का चुनाव हार गई थीं। उसी बीच बेलछी कांड हुआ तो इंदिरा ने वहां जाने का फैसला किया था। बाकायदा हाथी पर सवार हो कर उन्होंने यहां का दौरा किया, जिसके बाद उनका राजनीतिक पुनरुत्थान हुआ था।



क्या था बेलछी नरसंहार कांड, जब हाथी पर चढ़कर गईं थीं इंदिरा गांधी
क्या था बेलछी नरसंहार कांड, जब हाथी पर चढ़कर गईं थीं इंदिरा गांधी

बिहार के पटना जिला स्थित बेलछी गांव में साल 1977 में उस दौर का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इस नरसंहार में 8 पासवान और 3 सुनार जाति के लोगों को जिंदा जला दिया गया था। कुर्मी बिरादरी के लोगों पर इस नरसंहार को अंजाम देने के आरोप लगे थे। इसी दौरान 1977 में इंदिरा गांधी दिल्ली की गद्दी से बेदखल हो गई थीं। वह सत्ता में वापसी के लिए कोई अच्छे मौके की तलाश में थीं। नरसंहार की बात सुनकर वह यहां आई थीं। 13 अगस्त 1977 को भारी बारिश के बीच इंदिरा गांधी हाथी पर बैठकर बेलछी गांव पहुंची थीं। इस घटना से इंदिरा गांधी का राजनीति में पुनर्जन्म हुआ था।



क्या लखीमपुर मामले पर प्रियंका के तेवर से कांग्रेस को होगा फायदा
क्या लखीमपुर मामले पर प्रियंका के तेवर से कांग्रेस को होगा फायदा

अब प्रियंका गांधी भी लखीमपुर खीरी में हुई किसानों की मौत के मामले में जिस तरह से मौके पर जाने के लिए अड़ी रहीं। यही नहीं जब उनके काफिले को लखनऊ में रोका गया तो वह आधी रात में पैदल ही निकल पड़ी। यही नहीं पुलिस ने जब उन्हें रोका तो उन्होंने तल्ख लहजे में उनके सामने अपनी बातों को भी रखा। इस पूरे घटनाक्रम को देखकर एक बार फिर उनकी इंदिरा से तुलना हो रही है। साथ ही सवाल उठ रहे कि क्या कांग्रेस की यूपी में डूबी नैया को क्या प्रियंका उसी तरह पार लगा सकती हैं जिस तरह बेलछी कांड के बाद इंदिरा गांधी ने फिर से वापसी की थी। फिलहाल प्रियंका का ये तेवर कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाएंगा तो आने वाला वक्त ही बताएगा। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं।





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