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पहले लोन देते थे फिर बदनाम करने का डर दिखाकर लूटते थे... गुड़गांव में लोन ऐप का 'काला धंधा' उजागर

वरिष्ठ संवाददाता, गुड़गांव अचानक पैसों की जरूरत कभी-कभी ऐसे लोगों के जाल में फंसा देती है, जिससे निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही नहीं...

वरिष्ठ संवाददाता, गुड़गांव अचानक पैसों की जरूरत कभी-कभी ऐसे लोगों के जाल में फंसा देती है, जिससे निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही नहीं इसकी आंच रिश्तेदारों व दोस्तों तक पहुंच जाती है। पुलिस ने ऐसे ही एक फर्जी कंपनी के फर्जी कॉल सेंटर को पकड़ा है, जो माया कैश मोबाइल ऐप के जरिए लोगों को 2, 3 और 5 हजार रुपये का लोन देकर ठगते थे। आरबीआई से कोई मंजूरी लिए बगैर ही ये लोन बांट रहे थे। मोबाइल ऐप डाउनलोड कराते समय ये लोगों के मोबाइल से डेटा चुरा लेते। फिर उनके मोबाइल में सेव नंबरों पर कॉल कर उन्हें बदनाम व परेशान कर रुपये वसूलते थे। पुलिस ने 2 लोगों को अरेस्ट किया है। 16 युवक व 6 युवतियां कर रहे थे कंप्यूटर पर काम पुलिस के अनुसार, इंस्पेक्टर, ओमप्रकाश की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है। इंस्पेक्टर का कहना है कि गुरुवार रात को एसआई सतेंद्र कुमार के जरिये सूचना मिली कि संजय कुमार व भारत नामक व्यक्ति फर्जी कंपनी के जरिये लोगों को लोन देकर ठगी कर रहे हैं। पीएसपीआर एंटरप्राइजेज नाम रखकर ये ऑफिस सेक्टर-58 मेग्नम टावर-1 की 8वीं मंजिल पर चल रहा था। आरोप है कि आरबीआई की मंजूरी के बगैर और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशल कंपनी के लाइसेंस व नियमों की अनदेखी कर अवैध तरीके से प्रोसेसिंग फीस लेकर मोबाइल ऐप के जरिये ऑनलाइन लोन दिया जा रहा है। सूचना के आाधार पर साइबर क्राइम थाना की टीम रेड करने पहुंची तो इस कंपनी के ऑफिस में 16 युवक व 6 युवतियां कंप्यूटर व लैपटॉप पर काम करते हुए कॉल कर रहे थे। वेबसाइट पर लोन लेने वालों का डेटा था टीम ने इन सभी कर्मचारियों के कंप्यूटर व लैपटॉप चेक किए, जिसमें सामने आया कि स्क्रीन पर मायाकैश एप्लिकेशन पीएसपीआर की वेबसाइट खोली हुई थी। वेबसाइट को चेक किया तो लोन लेने के इच्छुक लोगों का डेटा था। इसमें लोन ले चुके लोगों के नाम, पता, मोबाइल नंबर, उनके दोस्तों व परिवार के सदस्यों के मोबाइल नंबर थे। कॉल सेंटर के संचालक संजय कुमार व भारत यहीं पर मिले। संजय फरीदाबाद बल्लभगढ़ के गांव बिलोच का निवासी है, जबकि भारत चरखी दादरी के गांव बिजना का रहने वाला है। इनसे लोन देने के लिए आरबीआई का परमिशन सर्टिफिकेट, कंपनी का रजिस्ट्रेशन, एनबीएफसी सर्टिफिकेट मांगे गए लेकिन कुछ नहीं दिखा सके। भरत का लैपटॉप, मोबाइल और संजय कुमार का मोबाइल पुलिस टीम ने जब्त किया है। इन दोनों को मौके से अरेस्ट किया गया। दोनों के खिलाफ साजिश के तहत ठगी व आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस तरह पूरा करना होता था प्रोसेस लोन देने के प्रोसेस के बारे में पूछा तो आरोपितों ने बताया कि मायाकैश ऐप गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है। वहां से ऐप डाउनलोड कर लोग लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह कंपनी लोगों को 2, 3 व 5 हजार रुपये के शॉर्ट टर्म लोन देती है। लोन की अवधि एक सप्ताह होती थी। ऐप में व्यक्ति को सबसे पहले अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर दर्ज करना होता है। फिर अपना पेन कार्ड व आधार कार्ड अपलोड कर लोन अप्लाई कर सकते हैं। कंपनी इस आवेदन को कॉल कर वेरिफाई करती है। प्रोसेसिंग फीस और पेनल्टी में ठगते थे आरोपितों ने खुलासा किया कि ये प्रोसेसिंग फीस व पेनल्टी से मुनाफा कमाकर लोगों को ठगते हैं। 2 हजार रुपये के लोन देने के लिए ये 600 रुपये प्रोसेसिंग फीस लेते हैं। यह फीस ये लोन में से काटकर बची हुई राशि व्यक्ति को ट्रांसफर करते हैं। फिर 1400 रुपये लेने वाले व्यक्ति को एक सप्ताह में ही 2 हजार रुपये वापस करने पड़ते हैं। पेमेंट लेट होते ही पेनल्टी लगाई जाती है। इस तरह 3 हजार के लोन पर 750 रुपये प्रोसेसिंग फीस और 5 हजार के लोन पर 1200 रुपये प्रोसेसिंग फीस ली जाती है। इसमें ब्याज भी शामिल होता है। एक सप्ताह बाद शुरू हो जाता था प्रताड़ित करने का खेल आरोपितों ने खुलासा किया है कि ऐप डाउनलोड होते ही इनके पास व्यक्ति के मोबाइल में मौजूद कांटेक्ट्स, कैमरा, एसएमएस, लोकेशन, स्टोरेज, कैलंडर में मौजूद डेटा आ जाता है। 7 दिन में रुपये न लौटाने वाले लोगों को इस कॉल सेंटर के कर्मचारी कॉल कर हरासमेंट का खेल शुरू करते हैं। मोबाइल एक्सेस से मिले उनके पर्सनल फोटो, मोबाइल में मौजूद नंबर व अन्य डेटा उन्हें भेजकर वायरल करने की धमकी दी जाती है। फिर यही डर दिखाकर उनसे रुपये वापस लिए जाते हैं। पेनल्टी भी ये हर दिन के हिसाब से लगाते हैं। साइबर क्राइम थाना के इंस्पेक्टर समेर ने बताया कि मामले में जांच कर कार्रवाई की जा रही है।


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