रवि सिन्हा, रांची (Mahatma Gandhi) के विचारों के ना सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कायल हैं, बल्कि दुनिया भर में बापू के दिखाए मार्ग ...
रवि सिन्हा, रांची (Mahatma Gandhi) के विचारों के ना सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कायल हैं, बल्कि दुनिया भर में बापू के दिखाए मार्ग और आदर्शों पर चलकर शांति और आपसी भाईचारा की बात की जा रही है। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता की अलख जगाने के लिए गांधी जहां-जहां गए, वहां आम जनमानस पर उन्होंने अमिट छाप रही। स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान राष्ट्रपिता का चार बार 1917, 1925, 1934 और 1940 में झारखंड आना हुआ और वे जब भी रांची आये, तो यहां उनका निवास स्थान शहर के महान स्वतंत्रता सेनानी राय साहब का आवासीय परिसर ही हुआ करता था। गांधीजी की याद बापू कुटीर के रूप में सुरक्षितबापू जिस आवासीय परिसर में देश की आजादी की लड़ाई को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाया करते थे, वह स्थान आज भी बापू कुटीर के रूप में यथावत है। समय के साथ साज-सज्जा और मरम्मत शुरू हुआ है, लेकिन आज भी कुटीर का स्वरूप उसी तरह से खपड़ैल मकान की तरह मौजूद है। 1929 मॉडल के फोर्ड कार से रामगढ़ अधिवेशन में गये थे बापू1927 में राय पहले नॉन ब्रिटिश थे, जिन्होंने फोर्ड की यह मॉडल खरीदी थी। 1940 के रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी 1927 मॉडल के जिस फोर्ड कार में बैठकर रांची से रामगढ़ गए थे, उस ऐतिहासिक कार को भी आज जायसवाल परिवार ने संभाल कर रखा है। इसी कार पर बैठकर गांधी जी राय साहब लक्ष्मी नारायण के साथ बैठकर रामगढ़ अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए गये थे। फोर सीटर इस कन्वर्टिबल कार में चार सिलेंडर इंजन है और यह आज भी आधुनिक कार से कम नहीं है। रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन बना ऐतिहासिक साल 1940 में 18 से 20 मार्च तक रामगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन ऐतिहासिक साबित हुआ। इस ऐतिहासिक तीन दिवसीय अधिवेशन में ही ‘‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’’ आंदोलन की नींव पड़ी और रामगढ़ की धरती से ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अलग राह भी पकड़ ली और उन्होंने समानांतर अधिवेशन भी किया। 35 एंटीक कारों की रेंज उत्तर प्रदेश के जमालपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले राय साहब लक्ष्मी नारायण जायसवाल ने उस दौरान अपनी 35 एंटीक कारों की रेंज में से अपनी सबसे यूनिक कार लाल रंग की मॉडल फोर्ड कार पर बिठा कर बापू को अधिवेशन स्थल ले गए थे। इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि विरासत में मिली सभी कारें उनके लिए बेहद खास हैं और पुरखों ने किसी भी कार को बेचने की इजाजत अगली पीढ़ी को नहीं दी है, क्योंकि यह सभी कार उनके परिवार के भी शुभ मानी जाती है। घर में कोई भी मांगलिक कार्य इन्हीं कारों के सफर से शुरू किया जाता है। इन तमाम कारों की मरम्मति और मेंटेनेंस के लिए बकायदा एक पूरी टीम काम करती है और समय-समय पर गाड़ियों के जरूरी पार्ट्स बदले जाते हैं। कई विदेशी कारों के पुर्जे देश में नहीं मिलने से विदेशों से भी आयात किया जाता हैं। अंग्रेजों ने जेल में दिया था जहर रांची के लालपुर चौक के निकट रहने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी खेदन लाल, राय साहब राजा राम शास्त्री और गिरधारी लाल का स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ा योगदान रहा। गांधी का साथ देने और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहने के कारण अंग्रेजों ने साजिश के तहत खेदन लाल जी को जहर दे दिया और बरेली जेल में ही उनकी मौत हो गयी।
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